लखनऊ,दीपक ठाकुर।भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश की जनता ने बम्पर सीट सी जीत क्या दिला दी कि अन्य पार्टियों में मानो तूफ़ान सा आ गया बसपा ने शुरुआत की ये कह कर की भाजपा ने मशीन में गड़बड़ी करवाकर चुनाव जीता है क्योंकि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में उनकी जीत हो ही नहीं सकती थी तो वो कैसे जीत गई। वही इस मामले में सपा भी बसपा के साथ खड़ी नज़र आ रही है उसने भी हार का ठीकरा मशीन की गड़बड़ी पर फोड़ दिया ना सिर्फ मशीन में खराबी की बात कह कर अपनी विफलता से पल्ला झाड़ लिया बल्कि कोर्ट जाने तक की बात कर दी है।
अब यहाँ ये समझ नहीं आता कि जब 2012 में इसी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था तब ऐसा शोर क्यों नहीं सुनाई दिया या जब दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनी तब काहे लोकतंत्र की जीत करार दिया गया या पंजाब में जो कांग्रेस की जीत हुई उसपर कोई बात क्यों नहीं उड़ाई जा रही सिर्फ उत्तर प्रदेश को ही क्यों टारगेट बनाया जा रहा है भैया यहाँ भी लोक तंत्र ही जीता है अखिलेश के पांच साल के कार्यकाल के बाद जनता का मूड बदलाव का था तो उसने भाजपा पर विश्वास दिखया तभी तो भाजपा सत्ता पर काबिज हुई तो यहाँ मशीन को ले कर हाय तौबा क्यों मचाई जा रही है समझ में नहीं आ रहा।
जब दिल्ली पंजाब में लोकतंत्र जीता तो यूपी में भी ऐसा ही हुआ होगा ऐसा क्यों नहीं मान लेते अन्य राजनैतिक दल क्यों वो अपनी हार का ठीकरा मशीन पर फोड़ना चाह रहे है राज्य राज्य बदलने पर क्यों लोकतंत्र को लेकर उनकी परिभाषा बदलती है ये बात भी समझ नहीं आती आये दिन ऐसे बयान दे कर जनता को भृमित करने से उनका क्या लाभ होगा ये भी नहीं कह सकता ये सब तो वही बता सकते है जो अपनी हार पचा नहीं पा रहे हैं।
अभी तक किसी पार्टी ने हार पर मंथन नहीं किया बस भाजपा की जीत कैसे और क्यों हुई इसी गणित को सुलझाने में व्यस्त नज़र आ रही है यहाँ बात सिर्फ भाजपा की जीत की ही नहीं है कोई भी दल जीतता तो वो लोकतंत्र की ही जीत होती समझिए आपलोग तभी तो जनता आपको समझेगी बरगलाने से कुछ हासिल नहीं होगा सोच बदलिए देश बदल चुका है।