लखनऊ, दीपक ठाकुर। पत्रकार का काम दुनिया के सामने वो सच्चाई लाना होता है जिससे सरकारी तंत्र और उनके सानिध्य में काम कर रहे लोगो को खासी दिक्कतें होती है उसी को छिपाने के लिए अब ये लोग चौथे स्तंभ की आवाज़ और उनका हौसला कुचलने के कुचक्र अपना रहे हैं।फिर बात चाहे नेताओं के घोटाले की हो या उनके द्वारा दिए गए टेंडर में हो रहे गोलमाल की।
अभी बिहार में तेजस्वी यादव के गुर्गों से मीडिया को प्रताड़ित करने का मामला ठंडा भी नही हुआ था कि शुक्रवार को लखनऊ में ट्रेन पर पत्रकारों पर उस वक़्त हमला किया गया जब वो ये दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि चांदी के वरक में लिपटा खाना आखिर ट्रेन में बनता कैसे है वो खाना जिसे हम आप ज़्यादा पैसा खर्चा कर के ट्रेन में खाते है वो कितना साफ और शुद्ध होता है यही तस्वीर मीडिया कर्मी संजोने का प्रयास कर रहे थे तभी उन पर हमला हो गया हमला भी कोई मामूली नही किसी के कान का पर्दा फाड़ दिया तो किसी पत्रकार की उंगली तोड़ दी उन लोगों ने जो सरकारी मदद से अच्छा खाना खिलाने का दावा तो करते हैं पर देते नही हैं।
सरकार इस मामले में पूरी तरह से दोषी है बजट में रेलवे पर इतना पैसा खर्च किया जाता है पर ना यात्रियों की सुरक्षा की जाती है ना सही भोजन ही मिल पाता है मज़ाक बना रखा है भारत सरकार ने भारतीय रेल का जिसे कोई भी याद करता है तो बस उसकी बदइंतज़ामी के लिए।
तो सरकार से बस यही अपील है कि अपना डिपार्टमेंट संभालिये सख्ती कीजिये उनको सही रास्ते पे लाने की ना कि चौथे स्तंभ को हिलाने की याद रखिये चौथा स्तंभ हिल नही सकता सिस्टम ज़रूर हिला सकता है।