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Tuesday, December 3, 2024

​गंभीर आरोपों के घेरे में आयी विकास खंड निघासन की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत लुधौरी

शरद मिश्रा”शरद”

लखीमपुर खीरी:NOI-ग्राम पंचायत के चुनाव में प्रधान जी अपने वादों के बलबूते पर तो ग्राम वासियों का विश्वास जीत कर उनकी वोटों को हांसिल कर लेते है मगर ज्यों ज्यों समय बीतता जाता है प्रधान जी ग्राम सभा मे होने वाले घोटालों के चक्रव्यूह में फसते जाते है फिर चाहे वो गाँव मे स्ट्रीट लाइटों का मामला हो या गाँव की गलियों में लगे खड़ंजे से लेकर ग्राम पंचायत में आवंटित आवासों का मामला हो।

इन घोटालों के चलते प्रधान जी का सुर्खियों में आना व ग्राम वासियों का प्रधान जी के ऊपर उंगली उठाना तो स्वाभाविक है जी हाँ एक ऐसा ही मामला जनपद लखीमपुर खीरी की विकास खंड निघासन की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत लुधौरी का सामने आया है।

बताते चलें कि विकास खंड निघासन की ग्राम पंचायत लुधौरी जितनी बड़ी पंचायत है यहाँ उतने ही बड़े घोटालों की महामार है इस पंचायत में सड़क व स्ट्रीट लाइटों का घोटाला सामने आया है बात यही पर समाप्त नही होती यहां प्रधानमंत्री आवास में भी जमकर धांधली की गई है जिससे आवासों का आवंटन पत्रों ने कम व अपात्रों ने ज्यादा फायदा उठाया है जिसके चलते पात्र अधिकारियों के चक्कर काट कर बेबस लाचार व खाली हाथ अपनी झोपड़ियों में सोए हुए है।

एक बात और संज्ञान में आई है कि लुधौरी ही नही विकास खंड निघासन की अधिकतर ग्राम पंचायतों को प्रधान जी प्रधानमंत्री आवासों को 15 हजार से लेकर 20 हजार में बेंच रहे है जब कोई लाभार्थी रुपये देने से मना करता है तो प्रधान जी के द्वारा अगली क़िस्त रुकवा देने की धमकी भी दी जाती है।

जब निघासन खंड विकास अधिकारी आलोक वर्मा ने पंचायत भवन पर प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों को प्रशिक्षण के लिए बुलाया तो तमाम लाभार्थियों ने घोटालों की पोल खोल कर रख दी जिससे ग्राम प्रधान व खंड विकास अधिकारी हक्का बक्का रह गए और ग्रामीणों को उनकी बात का संतोष जनक जवाब भी नही दे पाए।

ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत लुधौरी निवासी एक व्यक्ति ने स्ट्रीट लाइटों व प्रधानमंत्री आवासों में हुई गड़बड़ी की शिकायत प्रमुख सचिव व मुख्यमंत्री को ऑनलाइन की थी जिसकी जांच मुख्यविकास अधिकारी ने निघासन खंड विकास अधिकारी को सौंपी थी मगर खंड विकास अधिकारी ने अभी तक कोई जांच न करते हुए जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

ग्रामीणों ने बताया कि अधीनस्थ कर्मचारी को बचाने के लिए अधिकारी जांच में सिर्फ लीपापोती करना चहिते है।

ग्राम पंचायत में हुए घोटालों में दोषियों पर क्या कार्यवाही होती है ये तो समय के गर्भ में है।

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