अहमदाबाद. गुजरात में दूसरे फेज में 93 विधानसभा सीटें हैं। इसमें 53 सीटें उत्तरी और 40 सीटें मध्य गुजरात की हैं। जिन पर ओबीसी, पाटीदार, राजपूत, आदिवासी वोटर हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। 93 में से 33 सीटें ओबीसी और 15 सीटें पाटीदार बहुल हैं। इस फेज में 14 सीटें एसटी और 6 सीटें एससी के लिए रिजर्व हैं। 38 सीटें शहरी हैं। 2012 के चुनाव में बीजेपी को 93 में से 52 और कांग्रेस को 39 सीटों पर जीत मिली थीं। दूसरे फेज में मोदी के गृहनगर वडनगर की सीट भी शामिल है। इसी क्षेत्र में पिछले काफी वक्त से पाटीदार नेता और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर आंदोलन और रैली कर रहे हैं। दोनों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है। उत्तरी और मध्य गुजरात में करीब 40% ओबीसी वोटर हैं। इसमें करीब 20% ठाकोर आबादी है।
दो अहम बातें
1. 1984 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 2 सीट मिली थीं। इसमें से एक सीट मेहसाणा थी। यह इसी क्षेत्र में आती है।
2. 2002 के दंगों के बाद बीजेपी ने मध्य की 41 में से 37 सीटें जीती थीं।
अहमदाबाद में 16 सीटें; 14 बीजेपी, 2 कांग्रेस के पास
इस फेज में सबसे अहम अहमदाबाद जिला है। यहां 16 सीटें और करीब 39 लाख वोटर हैं। 2012 में बीजेपी ने 14 और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं। 5 सीटों पर पाटीदार वोटर निर्णायक हैं। 4 सीटों पर मुस्लिम वोटर बड़ी तादाद में हैं। यहीं की मणिनगर सीट से 2002 से 2014 तक विधायक रहे हैं।
54 ग्रामीण सीटें, 23 पर बीजेपी
– दूसरे फेज में जिन जिलों में वोटिंग होनी है, 2002 में यहां 95 सीटें थीं। इसमें 73 सीटें बीजेपी ने जीती थीं।
– 2007 के चुनाव में बीजेपी को मध्य और उत्तरी गुजरात की 95 विधानसभा सीटों में से 56 मिली थीं।
– दूसरेे फेज में 54 ग्रामीण सीटें हैं। जिसमें से बीजेपी को 2012 में सिर्फ 23 सीटें मिली थीं। कांग्रेस और उसके सहयोगी दल ने 31 सीटें जीती थीं।
– खेड़ा जिले में अमूल कॉपरेटिव की वजह से आसपास की 21 ग्रामीण सीटों पर कांग्रेस का दबदबा रहा है।
बीजेपी 4 सीटें 2% वोट से हारी थी
– 2012 में की वजह से बीजेपी को उत्तरी गुजरात में 11 सीटों का नुकसान हुआ था। इसमें से 4 सीट तो बीजेपी ने 2300 वोटों से कम अंतर से गंवाई थी। इन पर कांग्रेस को बीजेपी से 2% अधिक वोट मिले थे।
– पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला का इस क्षेत्र में सवर्ण और आदिवासी वोटरों पर अच्छा प्रभाव है। इस बार उनकी जन विकल्प पार्टी सभी 182 सीटों पर लड़ रही है।
– वाघेला के साथ 14 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी थी। वह कांग्रेस के वोट बैंक में नुकसान पहुंचा सकते हैं।