बिहार की तरह का महागठबंधन गुजरात में बनाने का कांग्रेस का प्रयास सफल होता दिख रहा है। पार्टी के कई पुराने नेताओं के विरोध के बावजूद राहुल गांधी की हरी झंडी के बाद लगभग सभी छोटी पार्टियों और संगठनों के साथ कांग्रेस ने तालमेल कर लिया है। कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक पार्टी के कई नेता नहीं चाहते थे कि कांग्रेस अपनी सीटें छोड़े। वे चाहते थे कि कांग्रेस अकेले लड़े क्योंकि गुजरात में भी कांग्रेस अगर तालमेल करके लड़ती है तो देश में इसका मैसेज सही नहीं जाएगा। जिन राज्यों में कांग्रेस दशकों से कमजोर है वहां तो गठबंधन होता है, लेकिन गुजरात में तालमेल नहीं करना चाहिए।
पर राहुल गांधी ने सारी आपत्तियों को खारिज कर दिया और पार्टी की ओर से बातचीत कर रहे नेताओं को इस बात की खुली छूट दी कि वे छोटी पार्टियों और सामाजिक व जातीय संगठनों के साथ बात करें और उनको कांग्रेस गठबंधन में शामिल करें। तभी इस साल अगस्त में कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार अहमद पटेल के खिलाफ वोट करने वाली शरद पवार की पार्टी एनसीपी को भी कांग्रेस गठबंधन में शामिल किया जा रहा है।
एनसीपी की ओर से प्रफुल्ल पटेल ने कांग्रेस नेताओं से बात की। प्रभारी महासचिव अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने गठबंधन तय कर दिया है। पिछले दिनों एनसीपी ने डेढ़ सौ सीटों पर लड़ने का ऐलान किया था और उसके उम्मीदवारों ने नामांकन भी कर दिया था। लेकिन अब नामांकन वापस कराया जाएगा और कांग्रेस एनसीपी के लिए छह से आठ सीट छोड़ रही है।
इसी तरह कांग्रेस पार्टी ने जनता दल यू के शरद यादव खेमे के नेता छोटू भाई वसावा के आदिवासी मोर्चे के साथ भी तालमेल कर लिया है। पहले वसावा को सिर्फ एक सीट देने की बात हो रही थी, लेकिन कांग्रेस ने उनकी पार्टी को पांच सीटें दी हैं। कांग्रेस के कुछ नेता अब भी समाजवादी पार्टी के साथ सीटों का तालमेल बैठाने में लगे हैं। ध्यान रहे अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर कांग्रेस कुछ दोस्ताना दिखाए तो वे उसके लिए प्रचार में भी जा सकते हैं। जातीय समूहों में कांग्रेस ने हार्दिक पटेल के पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेताओं के लिए कुछ सीटें छोड़ी हैं तो साथ ही दलित नेता जिग्नेश मेवानी का भी समर्थन हासिल करने के लिए उनकी पसंद के उम्मीदवार तय किए गए हैं। ओबीसी नेता अल्पेश ठाकौर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और पार्टी ने उनके करीबी लोगों को भी टिकट दी है। इस तरह कांग्रेस ने करीब 30 सीटों पर समझौता किया है। ये सीटें या तो दूसरी पार्टियों को दी गई हैं या इन पर दूसरे नेताओं के समर्थकों को कांग्रेस की टिकट मिली है।