लखनऊ,न्यूज़ वन इंडिया-दीपक ठाकुर। गुजरात मे 20 साल पुरानी भाजपा सरकार को मोदी के जादू ने एक बार फिर सत्ता सुख दे दिया है।शुरुआती रुझान में जो कांटे की टक्कर नज़र आ रही थी वो धीरे धीरे भाजपा के पक्ष में जाती दिखाई देने लगी जिसका एक मात्र कारण था उन स्थानों पर मोदी का मेगा प्रचार।हमने पहले भी ये बात कही थी कि गुजरात चुनाव में सिर्फ दो लोगों की मेहनत ही दिखाई दे रही है और उन्ही दो के भीच गुजरात का नतीजा भी आएगा हालांकि गुजरात मे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जी तोड़ मेहनत ने भाजपा से मिली हार के अंतर को कम तो ज़रूर किया लेकिन मोदी मैजिक को तोड़ने में कामयाब नही हो पाए।
देखा जाए तो पहले चरण के चुनाव में सीटों को लेकर कांटे को टक्कर रही कारण था राहुल का प्रचार औऱ मोदी की व्यस्तता वही दूसरे चरण में मोदी के प्रचार के बाद तस्वीर ही पलट गई और आधे से ज़्यादा सीट पर भाजपा बाज़ी मार ले गई।
यहां पर कांग्रेस ने भाजपा को उस तरह की टक्कर नही दी जो पहले चरण में दी थी लेकिन दूसरे चरण में सीटों पर मिली भारी बढ़त भाजपा को बहुमत की ओर ले जाने में कामयाब रही।कांग्रेस पर मोदी का वार ज़्यादा कारगर दिखाई दिया लोगों को नोट बन्दी और जीएसटी से हो रही तकलीफ भी मोदी के प्रचार में कहीं गुम होती नजर आई।
अब अगर पूरे नतीजों पर नज़र डाला जाए तो भाजपा को बहुमत तो मिलता दिख रहा है पर आंकड़ा उतना अच्छा नही है जितना भाजपा की तरफ से दावे किए जा रहे थे बात 150 की की जा रही थी पर वहां तक पहुंचने में वो कामयाब ना हो सकी।
खैर जीत तो जीत होती है जश्न वाली बात है तो जश्न मनेगा ही मगर यहां भाजपा की जीत उसको चिंतन की ओर ज़रूर अग्रसर करती हुई दिखाई दे रही है।क्योंकि बहुमत के आंकड़े से 10 या 12 सीटें ज़्यादा पा लेना कोई चमत्कार नही है।जब आप ये कह के चुनाव में जाते हैं कि आपने विकास किया है और जनता के हितों का ध्यान रखते हुए हर काम किया है।क्योंकि अगर किया होता तो आपकी जीत का अंतर वाकई चमत्कारिक होता महज़ खानापूर्ति नही।