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Monday, October 7, 2024

​गोरखपुर और फूलपुर की जंग

चुनाव आयोग ने आखिरकर गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनावों की तारीखों का ऐलान कर ही दिया। इसी के साथ ही विपक्ष को मौका मिल गया है कि वो इन दोनों अहम सीटों पर भाजपा को हराकर अपनी ताकत का प्रदर्शन करे।

उम्मीद थी कि विपक्ष इन दोनों सीटों पर संयुक्त रूप से उम्मीदवार खड़े करेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। समाजवादी पार्टी के लिए यह राहत और आशंका, दोनों की बात है कि बहुजन समाज पार्टी ने हमेशा की तरह इन उपचुनावों में भी भाग न लेने का फैसला किया है।
राहत इसलिए कि अब भाजपा विरोधी वोटों के बड़े बँटवारे की आशंका समाजवादी पार्टी को नहीं रह गई है। कांग्रेस ज़रूर अपने उम्मीदवार खड़े करके विपक्षी एकता की राह में कुछ बाधा खड़ी कर सकती है, लेकिन सपा को असली खतरा तो बसपा से ही रहता है।
बसपा के उपचुनावों में भाग न लेने के ऐलान से समाजवादी पार्टी कुछ आशंकित भी है। दरअसल, सपा और बसपा दोनों में प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल बनने की ही होड़ है। समाजवादी पार्टी अगर दोनों सीटें जीतती है तो इस पार्टी का और अखिलेश यादव का कद बढ़ेगा और बसपा कुछ पार्श्व में जा सकती है।
ऐसे में समाजवादी पार्टी के लोगों को ये आशंका होना स्वाभाविक है कि कहीं बसपा अंदरखाने से भाजपा के उम्मीदवारों को समर्थन न दे डाले। ऐसा होने से सपा की हार हो सकती है और साथ ही, अखिलेश यादव पर भी दबाव बढ़ सकता है। ये दबाव पार्टी के अंदर और बाहर दोनों तरफ से हो सकता है।
बहुत संभव है, समाजवादी पार्टी कांग्रेस को भी मनाने की कोशिश करे, लेकिन इसके लिए कांग्रेस हमेशा की तरह अपने आधार से ज्यादा हक माँग सकती है। हो सकता है, वह दो में से एक सीट मांग ले, जबकि कायदे से दोनों सीटों पर सपा का ही हक ज्यादा बनता है।
बहुत कुछ समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के नाम पर भी निर्भर कर सकता है। एक दिक्कत ये भी है कि अब तकरीबन एक साल का समय ही इस लोकसभा के लिए बचा है। ऐसे में उम्मीदवार इतनी थोड़ी अवधि के लिए पूरा दमखम खर्च करने से बच सकता है। ऐसा हुआ तो सत्तारूढ़ भाजपा इसका फायदा ले जाएगी।

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