लखनऊ, दीपक ठाकुर। बड़ा दुख होता है तब जब हम अपने बच्चों की खरोच पर उनके आंसू नही पोछ पाते और जब वही बच्चे आंसू का सैलाब दे जाएं तो इसे त्रासदी नही तो और क्या कहा जाए ऐसा ही कुछ गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में हुआ जहाँ मेडिकल कालेज की घोर लापरवाही ने ना जाने कितने मासूम की ज़िंदगी छीन ली और तो और बजाए अपनी नाकामी के वो मौत पर बहाने बनाते दिखाई दिये अफसोस होता है ऐसे डॉक्टरों और ऐसे अस्पतालों पर जहां ज़िन्दगी के बजाय मौत देने का काम होता है।
बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से तकरीबन 60 से अधिक घरों के चिराग बुझ गए हैरत की बात तो ये है कि ये अस्पताल वही है जहाँ दो दिन पहले ही हमारे मुख्यमंत्री जी दौरा करने गए थे क्योंकि यही उनका ग्रह जनपद भी है फिर भी ऐसा अस्पताल वहां चालू है जहां इंसान के जान की कोई कीमत नही ताज्जुब होता है और उसपर ये बात भी अफसोस नाक है कि घटना के बाद ना मुख्यमंत्री वहां पहुंचे ना ही प्रधानमंत्री ने ट्वीट के ज़रिए दुख प्रकट किया।
कहते भी है कि जो तन लागे सो तन जाने मतलब जिसका चिराग हमेशा के लिए बुझा दिया गया इसका असर तो उन तमाम परिवारों पर ही होगा हम तो सिर्फ संवेदना ही व्यक्त कर सकते हैं पर सरकार तो जांच के भरोसे बैठी है उसके बाद हरकत में आएगी अरे क्या मानवीय संवेदना के आधार पर कोई कड़ी कार्यवाही नही बनती आपकी तरफ से क्या इस घोर लापरवाही को जांच के दायरे में लाकर उसपर मिट्टी डालना ज़रूरी है जबकि कई माओं के आंसू तक सूख चुके हैं अपने बच्चे की मौत पे।
सरकार इसपर तो कुछ नही करती पर कहती है इसे राजनीतिक मुद्दा ना बनाया जाए अरे मुद्दा तब ना बनता जब आप के रुख से ये साफ होता कि आपको भी उतना कष्ट हुआ है जितना उनको जिनकी गोद एक झटके में सुनी कर दी आपकी ही लचर व्यवस्था ने बताइये क्यों ना बने ये मुद्दा क्या भाजपा की सरकार अगर सत्ता में ना होती तो वो खामोश रहती या राजनैतिक रोटी सेकती जैसा अन्य विपक्षी दल कर रहे हैं।
करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं अच्छी स्वास्थ सुविधा के नाम पर फिर भी पैसों की किल्लत जान पर भारी पड़ रही है कमाल है आपका भी और आपके स्वास्थ्य महकमे का भी जो सिर्फ और सिर्फ जनता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और कुछ नही।
होना तो ये चाहिए था कि सबसे पहले उस अस्पताल पर कड़ी कारवाई होती उसके बाद जांच के आदेश दिए जाते ये कोई मामूली घटना नही है इसपर आपलोगों की उदासीनता काफी कचोट रही है उन परिवारों के ज़ख्मो पर मरहम लगाने का प्रयास तो कीजिये जिन्होंने आपको सिर माथे बैठाया है।