वाराणसी। गौरक्षा के नाम पर सर्वाधिक हिंसा उत्तर प्रदेश में हुई है और इसके सर्वाधिक शिकार मुस्लिम है। 2010 से 2017 के बीच देश में गौरक्षा के नाम पर हिंसा की कुल 63 वारदातें हुई है जिनमे से सर्वाधिक 10 वारदातें यूपी में हुई हैं दूसरे नंबर पर हरियाणा है। 2017 के शुरूआती छह महीनों में ही गौरक्षा के नाम पर देश में हिंसा की 20 वारदातें घटी हैं ,इनमे भी सर्वाधिक मामले यूपी से ही है।
86 फीसद मरने वाले मुस्लिम
इंडिया स्पेंड नामक वेबसाईट ने विभिन्न स्रोतों से इकठ्ठा किये गए अपने आंकड़ों से पता लगाया है कि देश में गौ रक्षा के नाम पर होने वाली कुल हिंसा में 51 फीसदी मामले मुस्लिमों के साथ हुए हैं। वही इस दौरान होने वाली 28 फीसदी मौतों में से 86 फीसदी मरने वाले भी मुस्लिम थे। गौरतलब है कि यूपी में अवैध बुचडखानों पर कारवाई की घोषणा के बाद राज्य में हिंसा के ऐसे मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है।
अवैध बूचड़खानों पर पाबंदी के बाद बढ़ी हिंसक वारदातें
बुधवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जब अपने 100 दिनों के काम काज का लेखा जोखा दिया तो उसमे उन्होंने अवैध बूचड़खानों को बंद किये जाने को अपनी एक बड़ी उपलब्धि बताया है। लेकिन यह जमीनी हकीकत है कि अवैध बूचड़खानों की बंदी के प्रदेश सरकार के आदेश के बाद यूपी में गौरक्षा से जुड़े हिंसा के मामलों में तेजी आई है इन मामलों में होने वाली हिंसा का सर्वाधिक चौका देने वाला पहलू यह है कि 50 फीसदी से ज्यादा मामलों के मूल में केवल अफवाह थी गौरतलब है कि पिछले आठ वर्षों के दौरान गौरक्षा के मामलों में हुई हिंसा के दौरान 128 लोगों की मौत हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी दी है चेतावनी
महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश समेत छः राज्यों को सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल माह में गौरक्षा के नाम पर हिंसा फैलाने के मामले में नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। राज्य के डीजीपी सुलखान सिंह ने भी गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के साथ सख्ती से निपटने की बात कही थी। न्यायालय ने पूछा है कि क्यों न इन गौरक्षक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए ?गौरतलब है कि हाल के दिनों में गुजरात के बाद यूपी में गौरक्षा से जुड़े हिंसा के मामलों में तेजी आई है। पिछले साल दादरी में अख़लाक़ नाम के व्यक्ति की हत्या से पूरे देश में सियासत गरम हो गई थी लेकिन हकीकत की जमींन पर स्थिति ज्यों कि त्यों बनी हुई है। देश में गौरक्षा के मामलों में होने वाली हिंसा में से 13 फीसदी मामलों में वादी को ही मुकदमा झेलना पड़ा है वही 5 फीसदी मामलों में अभियुक्त अब तक नहीं पकडे गए हैं ।
इलाहाबाद से शुरू हुई गौरक्षा की राजनीति
देश में गौरक्षा से जुडी राजनीति 1950 से शुरू हुई थी जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक गुरु गोलवलकर ने गौरक्षा के मुद्दे को संघ के एजेंडे में भी शामिल कर लिया था।इसके बाद इलाहाबाद के स्वामी प्रभुदत्त ब्रह्मचारी गोलवलकर से प्रभावित हुए और उन्होंने इस मुद्दे में राजनीति शुरू कर दी। देश में पहली बार लोकसभा चुनाव 1951-1952 में हुए थे और उन चुनावों में प्रभुदत्त ब्रह्मचारी ने नेहरु के खिलाफ इलाहाबाद में फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन वो चुनाव हार गए । हालांकि हार के बावजूद प्रभुद्त्ता गौरक्षा के मुद्दे को बड़े स्तर पर राजनीति से जोड़ने में सफल हो गए।