सीतापुर,अनूप पाण्डेय:NOI। मनरेगा और ग्राम पंचायतों में फैले भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी है कि इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। अफसरों और ग्राम सेक्रेट्रियों की मिली भगत से गांव के विकास के मद में आई करोड़ों रुपए बिना काम के ही खर्च हो गए। शिकायत पर जिलाधिकारी ने जांच टीम गठित की लेकिन निर्धारित समय के चार महीने बीत जाने के बाद भी जांच नहीं हो पाई। न्यूज़ ओने इंडिया ने पूरे मामले की पड़ताल की तो चौंकाने वाला मामला सामने आया।
क्या है पूरा मामला ?
गौरतलब है कि मुख्य विकास अधिकारी ने 22 दिसंबर 2016 को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि विकास खंड गोंदलामऊ के अंतर्गत ग्राम पंचायत तरसांवा, बिजांगरंत, डेंगरा, मरेली, उत्तरधौना, म्हसुई, रौसिंहपुर, अंटामाउ, सरवा, समेत कुल 13 ग्राम सभाओं की जीपीडीपी, मनरेगा, और स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-2017 में कराये गए कार्यों के बारे में जांच करने के आदेश दिए गए थे।
जांच जिलाधिकारी सीतापुर के 20 दिसंबर 2016 के पत्र के आधार पर करायी जा रही थी। इस जांच को पूरा करके 27 दिसंबर 2016 को रिपोर्ट देने की बात कही गई थी।
जब इस जांच के बाबत इन 13 गांवों की जांच उप कृषि निदेशक विनोद कुमार यादव और सहायक अभियंता डीआरडीए को सौंपी गयी। लेकिन हैरानी की बात ये है कि 4 माह बीत जाने के बाद भी आज तक यह जांच पूरी न हो सकी। जब कि इन 13 गांव की जांच में शुरुआत में की गई 4 गांव की जांच में ही अफसरों के सामने गड़बड़झाला सामने आ गया था।
अफसरों को क्या मिला जांच में ?
इन अफसरों द्वारा की गयी जांच में गोंदलामऊ ब्लाक के मरेली गांव की जांच में हैण्डपम्प मरम्मत के लिए खर्च की गयी1 लाख 36 हज़ार 263 रुपये की धनराशि अन्य दोनों ग्राम सभाओं की तुलना में अधिक पाया गया। साथ ही यह धनराशि कितने हैण्डपम्पों में प्रयुक्त की गयी इसका विवरण भी नहीं मिला। साथ ही इसके बिल बाउचर भी इस धनराशि से कम पाये गए।
वहीं पंचायत भवन की मरम्मत में खर्च की गयी धनराशि का भी स्टीमेट नहीं बनाया गया। वहीं ग्राम तारसांवा में सामुदायिक भवन की मरम्मत में मटेरियल के खर्च में कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी। ऐसे ही कई मामलों को देखकर जो जांच आख्या प्रेसित की
गयी उसमें मामला वित्तीय अनियमितता और संदिग्ध बताया गया है। लेकिन जिस पर आज तक कोई भी कार्यवाही सम्बंधित अफसरों पर नहीं की गयी।