शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी:NOI- दूर देश से जनपद में मेहमान बनकर आने वाले दुर्लभ व प्रवासी पक्षियों का शिकार शुरू हो गया है। परिन्दों के दुश्मनों ने जनपद के विभिन्न बाँध, नदी व तालाबों के किनारे अपने ठिकाने बना लिये है और जाल तथा अन्य कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से इन पक्षियों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुलाया जा रहा है। इस समय लाखों की संख्या में दर्जनों प्रकार के दुर्लभ पक्षी बाँध समेत अन्य जलाशयों में ठिकाना बनाये हुए है, जिन पर शिकारी गिद्ध दृष्टि गड़ाये हुए है। वहीं वन विभाग कुम्भकर्ण की नींद सो रहा है।
बता दें कि ब्रिटेन, मंगोलिया, चीन, साइबेरिया आदि देशों में सर्दी और बर्फबारी के चलते कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों को अपना जीवन संकट में महसूस होने लगता है। यही वजह है कि वे कम ठण्डे देशो की ओर पलायन कर जाते है। हर साल नवम्बर व दिसम्बर के बाद सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही हजारों लाखों की संख्या में दुर्लभ व प्रवासी पक्षी भारत आते है। जनपद का मौसम, जलवायु, भौगोलिक स्थिति व जलाशय सात समुन्दर पार से आने वाले देशी विदेशी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यही वजह है कि हर साल यहाँ प्रवासी पक्षी बसेरा करते हैं।
इन तालाबों में अपार जलराशि दूर देश से आने वाले प्रवासी व दुर्लभ पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यही वजह है कि जनपद का मौसम, स्वच्छ निर्मल जल व भौगोलिक स्थिति पक्षियों को अच्छी लगती है और वे हर साल चार माह व्यतीत करने के लिए यहाँ खिचे चले आते हैं। नवम्बर माह की शुरूआत के साथ ही दुर्लभ व प्रवासी पक्षी जनपद के जलाशयों में आना शुरू कर देते है। नवम्बर व दिसम्बर बीतते-बीतते जलाशयों में अच्छी खासी संख्या में सीकपर, फ्लैमिंगो (छोटा राजहस), ठेकरी, काले सिर का ढोमरा, ढोमरा, सिलही, अबलख बत्तख, कुर्च, छोटा लालसर, और न जाने कितनी ही प्रजातियों के विदेशी और देशी पक्षी जलाशयों में ठिकाना बना लेते है। चूँकि ये किनारे पर रहना पसंद करते है, अत: इन्हे आसानी से देखा जा सकता है।
एक पल ठहरकर पानी में जल क्रीड़ा कर रहे इन पक्षियों को देखकर मन आनन्दित हो उठता है। कभी ये एक दूसरे पर पानी फेंकते है, तो कभी ये एक दूसरे की चोंच पकड़कर पानी में डुबोते है। ऐसे दृश्य निश्चित तौर पर मन को प्रसन्नचित कर देते है और देखने वालों को भी इन पक्षियों से लगाव हो जाता है। पक्षियों की यही खूबियाँ शिकारियों की आँखों में खूब खटकती हैं, यही वजह है कि प्रवासी पक्षियों के जलाशयों में आने के साथ ही शिकारी भी सक्रिय हो जाते है। इन दिनों शिकारियों की टोलियाँ सक्रिय हो गयी है, जो बेखौफ होकर व धड़ल्ले से इन दुर्लभ व प्रवासी पक्षियों का शिकार कर रही है। वहीं वन विभाग जानबूझकर कुम्भकर्ण की नींद सो रहा है, जिससे शिकारियों की मौज है। वहीं दुर्लभ व प्रवासी पक्षी बेमौत मारे जा रहे है।