दीपकठाकुर, न्यूज़ वन इंडिया। रेल से सफर करना है तो आप सभी जानते हैं कि उसके लिए पहले तो आपको अपनी ट्रेन का टिकट लेना पड़ता है फिर उसी टिकट को साथ ले कर रेलवे स्टेशन जाना होता है जहां आपको ये पता चलता है कि आपकी ट्रेन किस प्लेटफार्म पर और कितने बजे तक आएगी ये देख कर आप अपने प्लेटफार्म की ओर बढ़ने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।यहां तक तो ठीक है ये एक सामान्य प्रक्रिया है जो लगभग सभी जगह ऐसे ही होती है।पर यहां चारबाग रेलवे स्टेशन पर जो एक खास बात है वो ये के यहां का मैनेजमेंट उन प्लेटफार्म को ज़्यादा तवज्जो देता है जहां मूलतः दिल्ली की गाड़ी का आवागमन हो या जिस जिस ट्रेन से वीआईपी लोग सफर कर रहे हों।
आप भी अगर चारबाग रेलवे स्टेशन गए होंगे तो आपने भी ये बात जरूर नोटिस की होगी।यहां बाहर तो ऐसी चकाचौंध रहती है कि पूछिये मत सीढ़ी चढ़ते ही आपको मज़ा आने लगेगा और आप ये सोचेंगे कि चलो कोई बात नही अगर हमारी ट्रेन लेट भी हुई तो प्लेटफॉर्म पर आराम से बैठकर उसका इंतजार कर लिया जाएगा।ये सोच आपकी तब तक सार्थक भी लगती है जब आप प्लेटफार्म नंबर एक से हो कर गुज़रते हैं मगर जैसे ही आप प्लेटफार्म नम्बर पांच,छै या सात की ओर बढ़ने लगेंगे तब आपको लगने लगेगा कि आपकी सोच अब गलत साबित होने जा रही है।
ऐसा इसलिए होता है कि प्लेटफॉर्म 1 से 4 तक को छोड़ कर आपको वो सब सुविधाएं तलाशने के बावजूद नही मिलेंगी जिससे आप आप अपनी ट्रेन का इंतज़ार आराम से कर सकें आप समझ ही गए होंगे कि हम कहना क्या चाह रहे हैं जी बिल्कुल सही आपको ना वहां आराम से बैठने की कुर्सी मिलेगी ना पीने का शुद्ध पानी और ना ही एक पल का आराम।
तो कहना यही है कि मैनेजमेंट के ज़िम्मेदार लोग ये गैर जिम्मेदाराना व्यवहार क्यों उन यात्रियों के साथ कर रहे जो पूरा पैसा खर्च कर ही ट्रेन से सफर करने आता है क्यों आप सिर्फ राजधानी की ओर से आने जाने वाले यात्रियों की सुविधाओं पर ही तवज्जो देते हैं।ऐसा भेदभाव पूर्ण रवैया बन्द कीजिये जिससे अन्य यात्री तो परेशान हो ही रहे हैं साथ ही चारबाग रेलवे स्टेशन की साख भी धूमिल हो रही है।