लखनऊ, दीपक ठाकुर। जुमले वाली बात का ज़िक्र इसलिए ज़हन में आया क्योंकि लोक सभा के चुनाव में भाजपा ने अच्छे दिन लाने की खूब बातें कहीं साथ हो जनधन धारकों को को 15 लाख तक के सपने दिखाये फिर कह दिया की ये सब तो चुनावी जुमला था ऐसा कहना जरुरी था सभी कहते हैं।
उनके इस जुमले ने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से भारी बहुमत से भाजपा की सरकार बनाने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई पर कुछ वादे पूरे हुए कुछ अगले चुनाव के लिए पेंडिंग हो गए।
अब उत्तर प्रदेश में चुनाव का मौसम है भाजपा सत्ता में काबिज होने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती फिर चाहे किसी दुश्मन के दुश्मन को गले लगाने की बात हो या सीट के लिए समझौता करना पड़े। यू पी चुनाव में सपा के मेनिफेस्टो के बाद जब भाजपा की बारी आई तो उसके मुकाबले भाजपा ने घोषणा पत्र में तो बाज़ी मार ली ऐसा लगता है जैसे घोषणा पत्र में मज़दूरों,मुस्लिम महिलाओं, उधोग धंधों और रोज़गार के अवसरों के साथ बुन्देल खंड को प्राथमिकता देना ये दर्शाता है भाजपा ने हर पहलू को ध्यान में रख कर ये तैयारी की है।
पर बात घूम फिर के फिर वहीँ आती है कि क्या अमित शाह अपने वादों पर पूरी तरह से खरे उतरेंगे या जो कर पाए वो ठीक जो ना हुआ वो जुमला करार दे दिया जायेगा।
जो भी है हर पार्टी की तरह भाजपा ने भी प्रदेश की जनता के सामने अपने वादों को रखा है कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना उनका लक्ष्य है अब जनता इसको किस तरह देखेगी ये चुनावी परिणाम में जग जाहिर हो जायेगा।