पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव शरद यादव ने दिया था। इसी आधार पर पहले दिल्ली और फिर पटना में नीतीश को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगी। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं थी और सबकुछ शरद की सहमति से हुआ था।
सोमवार को चुनाव आयोग के सामने पार्टी पर दावे की लड़ाई में जदयू के वकील गोपाल सिंह और राकेश द्विवेदी ने बागी गुट के आरोपों को जोरदार खंडन किया। चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के सामने हुई सुनवाई में शरद गुट के वकील कपिल सिब्बल ने नीतीश के निर्वाचन पर सवाल उठाया था। हालांकि, नीतीश खेमे के वकील ने कागजातों के साथ यह बताया कि नीतीश के निर्वाचन के प्रस्तावक तो शरद ही थे।
उन्होंने तीन बार अध्यक्ष रहने के बाद खुद यह जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था। आयोग के सामने शरद गुट ने पक्ष रख लिया है, पर नीतीश खेमे के वकील मंगलवार को भी अपना रखेंगे। सुनवाई में राज्यसभा में जदयू के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह, मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी और संजय झा, जबकि शरद खेमे से अरुण श्रीवास्तव और जावेद रजा मौजूद थे।