मार्च 2016 में ही वीरेन्द्र कुमार राज्य सभा सांसद बने थे। करीब सवा चार साल अभी भी उनका कार्यकाल बचा हुआ है।
जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। साथ में हैं पार्टी महासचिव के सी त्यागी। (फोटो- PTI)
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के केरल प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सभा सांसद वीरेन्द्र कुमार ने सांसदी छोड़ने का एलान किया है। बुधवार (29 नवंबर) को उन्होंने कहा कि वो संघी बन चुके पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के साथ एक पल भी रहना बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने मीडिया से कहा, “मैंने राज्य सभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है।मैं अब नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सभा सांसद बना रहना नहीं चाहता हूं क्योंकि उन्होंने संघ परिवार की सदस्यता ले ली है।” उन्होंने कहा कि इस फैसले से नीतीश कुमार को अवगत करा दिया गया है। वीरेंद्र कुमार शरद यादव के करीबी समझे जाते हैं।
बता दें कि मार्च 2016 में ही वीरेन्द्र कुमार राज्य सभा सांसद बने थे। करीब सवा चार साल अभी भी उनका कार्यकाल बचा हुआ है। उन्होंने साल 2014 में अपनी पार्टी सोशलिस्ट जनता (लोकतांत्रिक) पार्टी का विलय जनता दल यूनाइटेड में कर लिया था। इससे पहले साल 1999 से लेकर 2010 तक वो पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्यूलर में थे। 1996 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद केंद्र की यूनाइटेड फ्रंट सरकार में मंत्री भी थे।
वीरेंद्र कुमार मलयाली अखबार मातृभूमि के सीएमडी हैं और पीटीआई में निदेशक भी हैं। जब उनसे पूछा गया कि राज्य सभा के सभापति को इस्तीफा कब सौपेंगे तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी मीडिया को दे दी जाएगी। बता दें कि जब नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन तोड़ने और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया तब शरद यादव और अली अनवर के साथ-साथ वीरेन्द्र कुमार ने भी इसका विरोध किया था।
अपनी अगली रणनीति का खुलासा करते हुए कुमार ने कहा कि केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सहयोगी जेडीएस के नेताओं से उनकी बातचीत चल रही है। केरल में फिलहाल जेडीयू कांग्रेस की अगुवाई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की सहयोगी है। कुमार ने बताया कि नीतीश कुमार ने उन्हें इस्तीफा देने से मना करते हुए कहा कि आप देश के बड़े समाजवादी नेताओं में एक हैं, इस्तीफा मत दीजिए। बावजूद इसके वीरेंद्र कुमार ने अपना फैसला नहीं टाला।