लखनऊ, दीपक ठाकुर। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव इस बार कई रोचक तथ्यों को लेकर सामने आ रहे हैं। कुर्सी पाने की चाह में नेता लोग जनता को ही भुलाते जा रहे हैं उनके चुनावी भाषणों में जुबान के साथ साथ मुद्दे भी अजीबोगरीब होते जा रहे कोई भी पार्टी मुद्दे पर बात ही नहीं करती दिख रही है सभी कामेडियन के अंदाज़ में चुनाव प्रचार करते ही जा रहे हैं।
आपको याद होगा यूपी में आजम खां की भैंस ढूंढने में सरकारी तंत्र की सक्रियता जो दिखाई दी थी वो इस बार विपक्षियों का चुनावी मुद्दा बन गया अभी हाल ही में अखिलेश ने गधों पर विज्ञापन ना किये जाने की जो अपने अंदाज में सलाह दी उसको भी चुनावी मुद्दा बना लिया गया अब आजकल गधों का ही महिमामंडन चल रहा है नेता लोग जनसभा तो ज़ोर शोर से करते हैं पर तालियां बटोरते हैं भैंसों और गधों की बात बोल कर।
समझ नहीं आ रहा की आखिर चुनाव यूपी की विधानसभा का है या जंगल का राजा तय किया जाना है। नेताओं के बयान तो कुर्सी के लिए अमानवीय होते ही जा रहे हैं पर क्या उनके मुद्दे भी मानव सुख रहित बन गए है ये बड़ी गंभीर बात बनती जा रही है।
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जो ये चुनावी प्रक्रिया इस्तमाल में लाई जाती है उसका नेता लोग सही से इस्तेमाल करें तो जनता के लिए ज़्यादा हितकारी होगा ना की ऊलजलूल बातें कर हंसी का पात्र बने।
माना कि चुनाव जीतने की चाह हर पार्टी का सपना रहता है जिसे साकार करने में हर तरह के दांव पेंच लगाये जाते है पर इस तरह के वक्तव्य से आप जनता क्या भरोसा देना चाहते है ये समझा दीजिये या ये कहा जाए की अब इंसानों को इंसान बनने का खामियाज़ाय भुगतान पडेगा नेताओ की कृपा से। वाकई लगने लगा है भाई कलयुग का दौर है इंसानों की औकात नहीं जानवरो का ही ज़ोर है।।।