लखनऊ, दीपक ठाकुर। वो ईमानदार था कर्मठ था साहसिक था और तो और वो अच्छा और साफ छवि का इंसान भी था किसी का बेटा किसी का भाई था जो अपना काम ईमानदारी के साथ करता था पर उसकी ईमानदारी का ऐसा सिला मिला कि सबके होश उड़ गए वजह क्या होगी कोई अंदाजा भी नही लगा पा रहा।
आईएएस अनुराग तिवारी के साथ जो कुछ भी हुआ उसने कई सवालों को जन्म दे दिया है हालांकि उनकी जन्मदिन की खुशी को मातम में किसने बदल दिया इस बात की तफ्तीश में पुलिस जुटी है पर पुलिसिया कारवाई भी परिवार वालों की नज़र में सन्देह के घेरे में है।परिजनों को कई बातें समझ मे नही आ रही जो उन्हें पुलिस बता रही है मसलन ये के जन्मदिन से पहले की रात 2 बजे तक जो इंसान जागा हो वो सुबह टहलने क्यों निकलेगा जबकि उसको सुबह ही फ्लाइट ले के कहीं और जाना था?दूसरा ये के मोबाईल जैसी ज़रूरी चीज़ को वो कमरे में छोड़ कर क्यों जाएगा जबकि आज उनका जन्मदिन था और मौत के बाद भी फोन उठा पर कुछ बोलने से पहले कट गया ऐसा क्यों और किसने किया? ऐसे ही कई सवालों से अनुराग के परिजन बेचैन है जिसका जवाब पुलिस को देना होगा।
मीराबाई मार्ग स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 19 में ठहरे आईएएस अनुराग तिवारी की लाश सड़क पर देख लोगों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी जिस पर मौके पर पहुंची पुलिस ने उनके आईकार्ड को देख कर उनकी शिनाख्त की जिसके बाद से ही इस मामले ने तूल पकड़ा।
आपको बता दें कि अनुराग तिवारी बीते कुछ दिनों से पत्नी से हुए विवाद के चलते खासे अवसाद में थे लेकिन किसी को ये नहीं पता था कर्नाटक कैडर के 2007 बैच के होनहार नौकरशाह की इस तरह मौत हो जाएगी पिछले साल जब वो बीदर के डिप्टी कलेक्टर बन कर गए थे तो वहां पानी की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए बेहतरीन काम किया था। बीदर में 130 से ज्यादा टैंक और 100 से ज्यादा कुंआ खुदवाकर सुर्खियों में आ गए थे. यही नहीं पांच सौ साल पुरानी सूख चुकी जहाज की बावड़ी की सफाई कराकर फिर से पानी से लबालब कर दिया था और इसके चलते जिले के लोग उन्हें प्यार से वाटरमैन के नाम से पुकारते थे। वो तेजतर्रार और सरल नौकरशाह के रुप में जाने जाते थे।
अब सन्देह यही है कि कहीं उनकी ईमानदारी ही तो उनकी मौत की वजह नही बन गई क्योंकि उनकी ईमानदारी ने कई लोगों को बेचैन कर दिया था अब देखना ये होगा कि पुलिस कितनी जल्दी इस मौत की गुत्थी को सुलझाती है जिससे परिजनों को राहत मिल सके।