लखनऊ, दीपक ठाकुर। घर तोड़ने का कोई भी मामला आस्था से जुड़ा नही हो सकता ये बात तो तय है क्योंकि टूट और बिखराव लोगों की ज़िंदगी पर बुरा असर ही डालते है।अब आते है उस मुद्दे पर जो आजकल तीन तलाक के इर्द गिर्द मंडरा रहा है।मुसलमानों में तीन तलाक का प्रावधान इस लिए है ताकि पति पत्नी अपने संबंधों को नेकी और ईमानदारी के साथ निभाएं पर अगर दोनों साथ रहने को राजी ना हो तो तीन तलाक ले कर अपने रास्ते अलग कर लें बिना किसी को कोई क्षति पहुंचाये। अब ये तलाक की बात सिर्फ मुसलमानों में हो ऐसा भी नही है हिन्दू भी तलाक लेता है पर कोर्ट के माध्यम से जहां दोनों पार्टी अपनी रजामंदी से जाती है तब कोर्ट उन्हें कुछ समय दोबारा देता है कि पुनः अपने फैसले पर विचार कर ले और हो सके तो तलाक ना ले क्योंकि तलाक जिस हाल में हो अच्छा नही माना जाता।
मगर जब से तीन तलाक ने राजनैतिक रंग ले लिया है तब से इसपर सियासत तेज़ हो गई है अब तीन तलाक मुसलमानों का नही देश के नेताओ के लिए अहम हो गया है जिसका कारण भी है वो ये के लोग उसका बेजा इस्तेमाल करने लगे है इसी बात और कोर्ट में रोज़ बहस हो रही है कि मामला था क्या और बनता क्या जा रहा है आखिर ऐसा क्यों हो रहा है इसी सिलसिले में कोर्ट में कांग्रेस और भाजपा आमने सामने खड़े है कांग्रेस का मानना है कि तीन तलाक मुसलमानों की आस्था का विषय है इसलिए इसको छेड़ना नही चाहिए।
कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने आज ये बात कह के प्रश्न खड़ा कर दिया कि आस्था में बिखराव वो भी बिना वजह के ये कैसे जायज़ हो सकता है आस्था तो उसमें होनी चाहिए जिससे जुड़ने पर लोगों का भला हो।
क्या तीन तलाक को आजकल जिस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है वो कहीं से भी जायज़ लगता है इस तरह डाक से मेसेज से या सोशल मीडिया के माध्यम से रिश्ते खत्म कर देना किस धर्म मे लिखा है कहाँ है इसमें आस्था और किसकी आस्था की बात कर रहे है सिब्बल साहब।आप लोगों को किसी के हित अहित की चिंता ही नही आपको तो अपने वोट बैंक की चिंता सताए जा रही है कांग्रेस को लगता है कि तीन तलाक भाजपा के फेवर में ना चला जाये तो ऐसा कुछ बोल दो जिससे गेंद उधर जा कर भी इनके पाले में ही दिखाई दे।कमाल है लोगो के दर्द को महसूस करना कब सीखेगा राजनैतिक दल समझ नही आता अरे तीन तलाक सदियों से चला आ रहा है चलता रहे इससे किसी को आपत्ति नही पर उसका बेजा इस्तेमाल तो कई औरतों को खून के आंसू रुला रहा है उसका तो कुछ सोचिए कोर्ट में दलील दीजिये जिरह करिये पर बिखराव को आस्था का चोला मत पहनाइए।