लखनऊ, दीपक ठाकुर। केंद्र सरकार भारत की जनता को फिर एक बार सुनहरी सौगात देने के मूड में दिखाई दे रही है।सरकार कीआम जनता की बेहतरी के लिए उठाये जाने वाले इस कदम का विरोध ज़्यादा दिखाई दे रहा है बावजूद इसके 30 जून से जीएसटी लागू होना निश्चित ही दिखाई दे रहा है।जीएसटी को लेकर व्यापारी वर्ग थोड़ा आक्रोशित भी नज़र आ रहा है उनका मानना है 28 प्रतिशत टैक्स से महंगाई में वृद्धि के साथ साथ उनके व्यापार पर भी असर पड़ेगा इसलिए इसमें कुछ परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है।
वहीं दूसरी ओर इसके ठीक उलट सरकार का तर्क है कि जीएसटी पूरी तरह से आम जनता और छोटे व्यापारियों के हित को देखते हुए तैयार किया गया है जिस कारण उन्हें इसके लागू होने से कोई दिक्कत पेश नही आएगी हालांकि व्यापारी वर्ग इसके विरोध में आंदोलन तक कि चेतावनी दे चुका है फिर भी सरकार का इसको लेकर बदलाव का कोई मूड नही बनता दिख रहा है इसलिए माना ये जा रहा है कि अब फुटकर टैक्स खत्म कर जीएसटी ही चलन में दिखाई देने की तैयारी में है।
अब आम जनता पर इसका कितना अच्छा और खराब असर पड़ने वाला है वो तो इसके लागू होने के बाद ही ज़मीनी रूप में पता लग पायेगा पर जिस तरह इसको प्रस्तुत किया जा रहा है वो भी भारी विरोध के बीच तो उसे देखते हुए ये किसी जिन्न से कम नही लग रहा है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली जीएसटी को लेकर काफी उत्साहित नज़र आ रहे हैं उनका मानना है कि इसके लागू होने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा साथ ही देश की अर्थव्यवस्थता भी मज़बूत होगी जिसमें सभी का बराबर का योगदान रहेगा।उन्होंने यहां तक कह दिया कि सरकार ने लोकप्रियता को ध्यान ना देते हुए देश हित के लिए ये फैसला लिया है अगर इसको 28 प्रतिशत से कम पर लागू किया जाता तो सरकारी खजाने में सरकारी कर्मचारियों को वेतन तक देने में दिक्कत आ जाती।
अब बताइये सरकारी कर्मचारी को वेतन का जुगाड़ भी जनता की जेब ढीली करा कर की जा रही है बल्कि सरकारी कर्मचारी की संख्या बेजा इतनी बढ़ा के रख दी गई है और उनका काम कैसे होता है इससे सभी परिचित हैं तो थोड़ा ध्यान उनकी संख्या कम करने में भी लगाते तो ज़्यादा बेहतर होता बजाए 28 प्रतिशत जनता की जेब से निकालने के।
सरकार कमाई का जरिया देने में तो नाकाम ही साबित होती है पर अपनी कमाई कैसे की जाए इसके नए नए रास्ते निकाल ही लेती है और हवाला देती है देश की मजबूती का कमाल है हमारा देश महान है जहां इनकम कैसे होगी खुद तलाशिये पर उसका हिस्सा कैसे लेना है ये सरकार तय कर लेगी।