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Tuesday, December 3, 2024

​जुगाड़बाज़ी का जलवा: योगी सरकार में गधे खा रहे हैं च्यवनप्राश


योगी सरकार में एक तो इतने विलम्ब से, २ माह बाद प्रमुख सचिव स्तर के ट्रान्स्फ़र हुए, लेकिन सब ढाक-के-तीनपात …. सब गुड़गोबार …..चोर उच्चके, जुगाड़ू,ढीलेढाले लोग़ों की बल्लेबल्ले….!

सरकार ने किए अनेक IAS के ‘उल्ज़लुल’ ट्रान्स्फ़र…. पता नहीं कौन ‘कटियाज्ञानी’ ऐसा परामर्श दे रहा है इस सरकार को कि संवेदनशील पदों पर ईमानदार कर्मशील अधिकारी पोस्ट नहीं कर पा रही। सम्भवतः कोई चांडाल-चौकड़ी योगी सरकार की ‘अनुभवहीनता’ का नाजायज़ फ़ायदा उठाकर इसे फ़ेल कराने की शाज़िश रच रही है !!!

योगी सरकार अति त्वरित गति से काम करना चाहती है, लेकिन सरकार काम वाले विभागों में अच्छे ट्रैक रिकोर्ड वाले कर्मशील ईमानदार अधिकारी नहीं तैनात कर पा रही है …. जुगाड़बाज़ी का जलवा आज भी क़ायम है। पता नहीं कौन ‘ग़लत-सलत’ परामर्श देकर व्यवस्था को सुधारने नहीं दे रहा …. इस सरकार का तो अब भगवान ही मालिक है।

चोर उच्चके लोग अभी भी PWD जैसे विभाग में बने रहेंगे, शायद वहाँ के मंत्री जी को ऐसे ही लोग ज़्यादा सूट करते हों…ग्रह(Home) जैसे संवेदनशील विभाग में aggressive approach वाले गतिशील अधिकारी की आवश्यकता थी, जो तेज़ी से गिरती क़ानून व्यवस्था को संभाल सके…पता नहीं क्यों गृह विभाग को ऐसा अधिकारी नहीं मिल पाया। लोग कह रहे हैं कि जो अधिकारी चिकित्सा विभाग में कुछ नहीं कर पाया और जिसपर पूर्व मंत्री-पुत्र के साथ संलिप्तता के दाग़ भी लगे थे, वह भला गृह विभाग कैसे संभाल पाएगा…मेरी समझ से भी बाहर है। मुख्य सचिव के पास से गन्ना विभाग क्यों नहीं हटाया गया ? शायद ‘शुगर डैडी’ इस पद को स्वमँ छोड़ना नहीं चाहते। वैसे भी अब नये मुख्य सचिव को लाने की तैयारी होनी चाहिए, ताकि ढीलेढाले प्रशासन को गतिशील बनाया जा सके….CAG ने वर्तमान मुख्य सचिव के प्रमुख सचिव, वित्त विभाग के कार्यकाल में ख़राब/ढुलमुल वित्तीय प्रबंध पर बड़ी ही adverse टिप्पणी की है। आवास विभाग में भी एक सफल ट्रेक रिकोर्ड के ईमानदार कर्मशील व्यक्ति की आवश्यकता थी, जो विकास प्राधिकरणों के भ्रष्टाचार पर चाबुक चला सके …. अफ़सोस कि यह नहीं हो पाया। जिस प्रमुख सचिव को एक विभाग में असफलता भ्रष्टाचार के कारण हटाया गया हो, तो उसे शिक्षा या PWD जैसे महत्वपूर्ण विभाग में पुनः क्यों तैनात किया गया/ बना रहने दिया गया ? समझ से बाहर है।

ऐसा लगता है कि अपनी धुन के पक्के योगी जी को काम करने का फ़्री हैंड नहीं मिल रहा है या फिर किन्हीं चाटुकार ‘स्वार्थी’ तत्वों की चांडाल चौकड़ी योगी जी पर हावी हो गयी है…यह तो इन स्थानंतरणों से तय दिखता है।

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