सरकार देश की जनता की बेहतरी के लिए योजनाएं बनाती हैं और उसी पर अपने कार्यकाल में काम करती है ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि जनता ही उनको अपना कीमती वोट देकर उस स्थिति लायक बनाती है जहां से वो उनके हित को ध्यान में रखे।
इसी क्रम में एक काम सरकार का ये होता है कि वो साल दर साल देश की जनता के लिए अपना बजट पेश करे ऐसा बजट जिससे जनता को लगे कि सरकार हमको क्या क्या दे रही है।इसी बजट को लेकर मीडिया भी कई लंबे चौड़े प्रोग्राम इसी बात को लेकर चलाती है जिससे जनता की आवाज़ सरकार तक पहुंच सके उसके लिए लोग उत्सुक भी रहते है।
ऐसा ही कुछ इस बार भी 2018-19 के बजट से पहले हुआ कार्यक्रम खूब हुए लोगो ने खूब बोला महंगाई कम हो बेरोज़गारी दूर हो अपराध का अंत हो ऐसा हम सबने सुना और आशा भी थी कि ये आवाज़ सरकार तक पहुंचेगी।
लेकिन 1 फरवरी को जब बजट पेश हुआ तो क्या हुआ इसे सुन कर जनता स्तब्भ रह गई।जिस जनता को उम्मीद थी कि जेटली की पोटली से उनके लिए अच्छे दिन वाली बातें निकलेंगी वही पोटली भविष्य की दुहाई और काजू के दाम कम करके अपना काम खत्म कर लेगी।
ज़रूरी सामन में कोई कमी नही पर काजू सस्ता कर दिया जो आम आदमी मौके बे मौके ही खाता होगा।बाकी दाल, चावल,घी,तेल,पेट्रोल जस का तस छोड़ दिया।इस बजट पे हमने भी कई लोगो से बात की तो लगभग सभी ने यही कहा कि पता नही जेटली साहब करना क्या चाहते हैं लगता तो यही है कि भविष्य चमकाने के चक्कर मे हमारा वर्तमान ही बिगाड़ना चाहते है।