◼योगी राज की नीतियों पर खरा दिख रहा है लखीमपुर खीरी जेल प्रशासन जेल में स्वक्षता, कैदियों की सुविधाओं, जलपान भोजन व मिलाई के लिए आने वाले परिजनों को दिया गया विशेष तवज्जो
शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी:NOI- सूबे के जिला लखीमपुर खीरी में एक आम नागरिक की हैसियत से सभी औपचारिकताओं को निभाते हुए जेल के नियम व कानून का पालन करते हुए एक कैदी से मिलाई के सिलसिले में जब में जेल के अंदर गया तो उस समय मेरा सबसे पहले ध्यान भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे भारत स्वक्षता मिशन की तरफ गया तो जेल की सफाई व्यवस्था देख कर लगा कि जेल प्रशासन भारत स्वक्षता मिशन की नीतियों का अक्षर सा पालन कर रहा है जेल का ऐसा कोई कोना भी न दिखा जहाँ की सफाई पर ध्यान न दिया गया हो जेल के नियम कानूनों के पालन के सम्बन्ध में जिन औपचारिकताओं को निभाते हुए मैंने जेल के अंदर प्रवेश किया था में पहले ही उनसे संतुष्ठ हो चुका था अंदर जाने के बाद स्वक्षता के साथ मेरा ध्यान जेल की सुरक्षा की तरफ आकर्षित हुआ जब मैन देखा जेल के पुराने कैदी भी बहुत ही अनुशासित रहकर नए कैदियों को मर्यादा का पाठ पढ़ाते हुए उनको जेल में जीवन यापन के संबंध ने जानकारी दे रहे है तो यह मुझे एक आदर्श जेल के शुभ लक्षण दिखे।
में यह सोच ही रहा था तभी एक पुराना कैदी जो अपने आप को रीडर का सहयोगी बता रहा था वह मुझे स्वयं अपना परिचय देकर जेल के नियम कानूनों से रूबरू कराने लगा उसी ने जेल के बैरक में जिनसे में मिलाई करने गया था उनकी तरफ इशारा किया और कहा जिस कैदी से मिलने आये है वो सामने है आपके आप मिल लीजिये में जेल के बारे में अब तक बहुत कुछ जान चुका था अब मुझे खाना व जलपान सहित कैदियों को दी जा रही अन्य सुविधाओं के संबंध में जानकारी लेनी थी इसलिए हम जिनसे मिलने आये थे उन्ही से इस बारे में प्रश्न पूछ डाला हमारा ऐसा करना सही भी था क्योंकि वो भुक्तभोगी भी थे और उनसे बेहतर जेल में मिल रही सुविधाओं के बारे में कौन बता सकता था।
हमारे पूछने पर उन्होंने बताया कि जेल में खाने-पीने, रहने व स्नान आदि की बहुत अच्छी व्यवस्था है स्नान करने के लिए समर सेविल पम्प लगे है पीने के लिए एक्वागार्ड का ठंडा पानी है शुद्ध भोजन है हर बैरक में टीवी लगी है पुस्तकालय भी है जहाँ से शिक्षित बंदियों को संस्कार प्रदान करने वाली पुस्तकें भी दी जाती है यदि आप मानो तो यह अपने गलत कर्मों का प्रयाक्षित करने का एक आनंद आश्रम है फिर वह मुस्कुराता हुआ बोला कि सब सुविधाएं मिलने के बावजूद भगवान से यही प्रार्थना करना कि किसी को जेल न आना पड़े क्योंकि जेल तो जेल ही होती है जो मनुष्य के स्वक्ष दामन में एक धब्बा की तरह है।
स्वाभाविक है कि जेल में इतनी सब व्यवस्था यूँ ही संचालित नही हो रही होंगी इसके पीछे किसी अधिकारी का बड़ा योगदान होगा जो दीनभावना से काम करते हुए जेल को श्रेस्ठ तम व्यवस्थाएं दे रहा होगा इसलिए मेरा ध्यान जेलर की तरफ आकर्षित हुआ मैने जेल के कर्मचारी से जेलर का नाम पूछा तो उसने जेलर का नाम ज्ञान प्रकाश बताया मैने अपना विजटिंग कार्ड निकालकर उस कर्मी को दिया और कहा कि जेल की मर्यादाओ का पालन करते हुए में जेलर साहब से मिलना चाहिता हुँ वो विजटिंग कार्ड लेकर गया तब तक मे जेलर के कक्ष के सामने अनुशासित होकर खड़ा रहा कुछ ही समय मे मुझे अंदर बुला लिया गया मैने जेलर के कक्ष में जाकर पहले यही प्रश्न किया सर “व्हाट इज योर गुड नेम” उधर से संशिप्त सा जवाब आया ज्ञान प्रकाश
मेरा दूसरा प्रश्न था कि एक सामान्य व्यक्ति के नाते में जेल के संबंध में सब कुछ जान चुका हूँ मै आपसे जानना चाहिता हूँ कि इतनी अच्छी व्यवस्था का आप संचालन कैसे करते है।
कठिन परिश्रम, समर्पित भाव से कर्तव्यों का निर्वाहन, दायित्यों के प्रति प्रमाणिकता जेलर ज्ञान प्रकाश का तह दूसरा संशिप्त उत्तर था जिससे में प्रभावित हुआ।
जब मैंने पूछा कि यहां के कैदी भी आपके व्यवस्था की प्रशंसा करते दिखे इसका राज क्या है-
तो जेलर साहब ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि कुछ कैदी पैसेवर होते है जिन्हें संस्कारित कर राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ना कठिन काम होता है लेकिन हम उसे करते है क्योंकि सरकार ने हमे संसाधन सुविधाए और अधिकार सभी कुछ दिए है हाँ कुछ ऐसे कैदी भी होते है जिनसे परिस्तिथियों बस न चाहते हुए भी अपराध हो जाते है उनके लिए प्रायश्चित का सबसे सुलभ केंद्र है।
में कैदियों के दर्द को समझता हूँ इसके लिए मुझे स्वयं एक कैदी का जीवन जीना पड़ता है हाँ 24 घंटे में कुछ घंटे परिवार के साथ स्वक्षण्ड भाव से बिताने का सुख मुझे प्राप्त है फिर मुस्कुराए और बोले किंतु यह सुख आंशिक रूप से ही सभी कैदियों को भी प्राप्त है जो लोग उनसे मिलायी करने आते है वो मिल लेते है।
इसके बाद उन्होंने घड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहा मेरी विजिट का समय हो रहा है ऐसा सुनकर में भी बाहर निकल आया।