झारखंड के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में नए गठबंधन के संकेत दिखाई देने लगे हैं। सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक और अडाणी पावर प्लांट के विरोध में एक मंच पर खड़ा झामुमो, झाविमो, राजद, जदयू और वामदल की एका इस संभावना को पुष्ट करती है।
गोड्डा में प्रस्तावित अडाणी पावर के विरोध में शनिवार को झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में राजभवन पहुंची विपक्ष की टोली में लगभग सभी दलों के नेता शामिल थे। सभी ने एक स्वर में महागठबंधन की वकालत की। वे ज्वलंत मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ कदमताल करने पर अडिग दिखे।
झारखंड में सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक 2019 का चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता। ऐसे में विपक्षी एकता ही सत्ताधारी दल भाजपा को चुनौती दे सकती है। ऐसा विपक्ष का मानना है। झामुमो विधायक दल के नेता हेमंत सोरेन की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात को इसी परिप्रेक्ष्य से जोड़ कर देखा जा रहा है। सोनिया ने शुक्रवार को देश भर के 17 राजनीतिक दलों की प्रमुख हस्तियों के साथ बैठक की थी।
गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और झामुमो के अलग-अलग राग अलापने का खामियाजा दोनों ही दलों को भुगतना पड़ा था। जाहिर है इस चुनाव में दोनों ही दल ऐसी गलती दोहराना पसंद नहीं करेंगे। इधर झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी विपक्ष के महागठबंधन की जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। बाबूलाल झारखंड में विपक्षी दलों को एकजुट करने के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों के शीर्ष नेताओं के संपर्क में भी हैं। उन्होंने हाल ही में बसपा सुप्रीमो मायावती से भेंट की थी। इससे पूर्व वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मिल चुके हैं।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ झाविमो की एका कई मौकों पर जाहिर हो चुकी है। हालांकि चुनाव में अभी लंबा वक्त है। झामुमो, झाविमो व कांग्रेस में कितना मेल रहेगा, कयास लगाना जल्दबाजी होगी। उधर राज्य में सीएनटी-एसपीटी पर आदिवासियों की लड़ाई लड़ रहे पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के नेतृत्व में अलग धड़ा तैयार हो रहा है।