लखनऊ,इरफान शाहिद:NOI।अभी कुछ दिनों पहले की बात है जब योगी सरकार ने शराब को लेकर कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए हाइवे के पास लगी सभी शराब की दुकानों को बंद करवा दिया था जो अभी तक बंद भी है।योगी सरकार के इस रुख से उन महिलाओं के हौसलों में और भी इजाफा हुआ जो शराब की मार झेल रही थी उन्ही औरतों बच्चो ने उत्तर प्रदेश के अंदर कई दुकानों पर तोड़फोड़ की और उन्हें बंद किये जाने की मांग की हालांकि इस तरह का विरोध प्रदर्शन कानूनी दृष्टि कोड़ से सही नही था जिस कारण ऐसी महिलाओं और उन लोगों पर कारवाई की गई।
इसी क्रम में आपको याद होगा कि ठकुरगंज के मल्लाही टोला में भी औरतों बच्चो और बुजुर्गों ने अपने क्षेत्र में बनी दारू की दुकान पर हमला बोल कर उसे बंद किये जाने की मांग की थी इस पर पुलिस ने त्वरित कार्यवाई करते हुए तकरीबन 23 लोगों को गिरफ्तार भी किया था लेकिन मसला अब ये सामने आ रहा है कि ठकुरगंज पुलिस ने महिलाओं सहित 130 लोगो की सूची ये कह कर तैयार की है कि उपद्रव में ये सभी शामिल है जिन पर कार्यवाई की जाएगी।
सूत्रों से जो खबर आ रही है उस हिसाब से पुलिस की इस सूची में दोषी कम और निर्दोष लोगों की संख्या ज्यादा है एक पीड़ित के पुत्र ने हमें ये जानकारी दी है कि उनकी माँ की उम्र लगभग 70 साल की है पर पुलिस ने उनका भी नाम 130 लोगों में शामिल कर रखा है और आयेदिन उनके घर धमक जाती है।उसने ये भी बताया कि पुलिस ने जब घटना घटी तब आनन फानन में उन सभी के नाम चढ़ा लिए जो उधर से गुज़र रहे थे या वहां लगी भीड़ का हिस्सा मात्र थे।
पीड़ित की बात को अगर सही माना जाए तो पुलिस की ये कार्यवाई संदेह के घेरे में नज़र आती है क्योंकि अपना रिकार्ड सही रखने के चक्कर मे बेकसूर और बुजुर्ग लोगों को सूचीबद्ध करना उनकी प्रताड़ना से कम नही लगता।इसलिए पुलिस के आलाधिकारियों को इस मामले को संज्ञान में लेते हुए लिस्ट में शामिल लोगों की पहले जांच करानी चाहिए और अगर नाम सही हो तो दंडनात्मक कार्यवाई करनी चाहिए क्योंकि फिलहाल जो पुलिस का रवैया बताया जा रहा है उसमें ज़्यादती ज़्यादा और न्याय कम दिखाई दे रहा है।