लखनऊ, दीपक ठाकुर। कहा जाए तो महागठबंधन के सूत्रधार में से एक लालू यादव पर खुद गठबंधन में बने रहना मुश्किल सा हो गया है।बिहार सरकार में उनकी भागीदारी पर भी तलवार लटक रही है अब ऐसे में उस महागठबंधन का अस्तित्व क्या होगा ये सोच कर चिंता होने लगती है पर जिसको होनी चाहिए उसे नही हो रही यही कमाल है राजनीती का के यहां अपने फायदे के लिए दल तो मिला लेते हैं पर दिल कुर्सी पर ही टिका रहता है।
लालू यादव बिहार में अपने पुत्र तेजस्वी की कुर्सी को लेकर बड़ा परेशान है वो चाहते हैं मान जाए पर कुर्सी ना जाये तमाम दबाव के बाद भी वो इस बात को लेकर अड़े हुए है कि उनका तेजस्वी उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नही देगा खबरें तो यहां तक आ रही थी कि सोनिया गांधी तक ने उनसे इस्तीफे को लेकर बात की और कहा कि गठबंधन बचाना है तो दिलवा दो इस्तीफा पर लालू अपने मुह से ना उस विषय पे कुछ बोल रहे हैं ना बेटे का इस्तीफा ही दिलवा रहे हैं उनका कहना है कि आरोप लगाने से कोई आरोपी नही हो जाता उनको जो कहना है अदालत में कहेंगे पर कुर्सी नही छुड़वाएँगे तेजस्वी से।
दूसरी तरफ जेडीयू की तरफ से लगातार ये बयान आ रहे हैं कि नीतीश भ्र्ष्टाचार के खिलाफ है और वो इसे बर्दाश्त नही करेंगे इशारा साफ है कि तेजस्वी का तेज जेडीयू को अब बर्दाश्त नही हो रहा है क्योंकि उनके ऊपर पिता जी का आशीर्वाद पड़ चुका है।
बिहार की राजनीती में भूकंप आने का खतरा बरकरार है नीतीश ने मन बना लिया है कि तेजस्वी को पद से हटाना है तो वही लालू इधर उधर की बात कर वक़्त तो जाया कर ही रहे हैं दूसरी तरफ नीतीश से कुछ स्पष्ट बात भी नही कर रहे हैं उनके मन मे ये है शायद की नीतीश की कारवाई पर उनकी राजनीती चमक सकती है शायद और महागठबंधन भी नीतीश की कारवाई पर उनको सहानभूति देगा और जेडीयू इसका हिस्सा नही रहेगा।बड़ा दांव पेंच लगाते हैं ये राजनेता भी इनको मान सम्मान से कोई मतलब नही बस सरकारी सुविधा से जुड़े रहने की तरकीब खोजने में लगे रहते हैं।
अब लालू यादव इसी तरकीब के चक्कर मे पड़ गए हैं जानते हैं कि नीतीश सरकार तेजस्वी को हटा कर ही मानेगी क्योंकि अभी तक नीतीश ने इस मांग को नकारा ही नही है वो चाहते हैं लालू का साथ बना रहे और तेजस्वी इस्तीफा दे पर लालू चाहते हैं कि आप हटाओ तो हम नया मौका देखें तो भैया लालू जी आप मौका तलाशिये तेजस्वी की कुर्सी कभी भी खिसक सकती है।