वाराणसी. यूपी की गोरखपुर व फूलपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव को लेकर नामांकन का दौर शुरू हो गया है। दोनों ही सीट बीजेपी के कब्जे में थी इसलिए भगवा पार्टी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्र बन चुकी है। बीजेपी जानती है कि यदि किन्हीं कारणों से इन सीटों पर पार्टी को हार मिलती है तो संसदीय चुनाव २०१९ में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है इसके चलते अंदरखाने चर्चाओं को बाजार गर्म हो गया है कि फूलपुर संसदीय सीट अपना दल के खाते में जा सकती है। अधिकारिक तौर पर बीजेपी व अपना दल के नेता इस संदर्भ में चुप्पी साधे हुए हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ कही जाने वाली गोरखपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी के लिए अधिक दिक्कत नहीं आने वाली हैं। गोरक्षापीठ से जुड़ी इस सीट पर बीजेपी अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। बीजेपी के लिए सबसे समस्या फूलपुर संसदीय सीट को लेकर हो रही है। बीजेपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने पहली बार पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर में यह सीट जीती थी उसके बाद से केशव प्रसाद मौर्या की भी तकदीर बदल गयी। चुनाव जीतने के कुछ दिन बाद ही केशव प्रसाद मौर्या को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था जिसके बाद से वह अपने संसदीय क्षेत्र में ध्यान देने की जगह बीजेपी को यूपी चुनाव जीताने में व्यस्त हो गये। केशव प्रसाद मौर्या व बीजेपी को इसका फायदा हुआ और विधानसभा चुनाव २०१७ में भगवा पार्टी को पहली बार यूपी में इतना प्रचंड बहुमत मिला। इसके बाद केशव प्रसाद मौर्या को यूपी का डिप्टी सीएम बना दिय गया और उन्होंने फूलपुर संसदीय सीट से इस्तीफा दे दिया। केशव प्रसाद मौर्या का अपना संसदीय सीट पर अधिक ध्यान नहीं देने के चलते मतदाताओं में बीजेपी को लेकर नाराजगी है इसके चलते भी बीजेपी को लग रहा है कि इस सीट पर अपना दल प्रत्याशी को चुनाव लड़ाया जाये।
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इस कारण अपना दल का दावा है मजबूत
फूलपुर संसदीय सीट पर पटेल वोटरों की संख्या सबसे अधिक 2.50 लाख है। फूलपुर संसदीय सीट की सोरांव विधानसभा से अपना दल के विधायक है, जबकि प्रतापपुर व हंडिया विधानसभा में अपना दल के प्रत्याशी बहुत कम अंतर से हारे थे। नवाबपुरा व फाफामऊ में अपना दल ने खुद को जमीनी तौर पर बहुत मजबूत कर लिया है। इसके चलते अपना दल प्रत्याशी यहां पर बीजेपी से अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। अपना दल सोनेलाल के राष्ट्रीय प्रवक्ता बृजेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि आमतौर पर जिस सीट से जिस पार्टी का प्रत्याशी पूर्व में लड़ा होता है उस सीट पर उसी दल का दावा होता है। बीजेपी से हमे सीट लडऩे को मिलती है तो हम चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी का प्रत्याशी ही फूलपुर से चुनाव लड़ता है तो बीजेपी प्रत्याशी को चुनाव जीताने के लिए अपना दल सारी ताकत लगा देगा। फूलपुर संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी गठबंधन का ही कब्जा रहता है हम लोगों का पहला प्रयास ही जीत का अंतर पहले से अधिक हो।
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