प्रतापगढ़। वैसे तो देश में दलितों पर उत्पीड़न हमेशा से होते आ रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद दलितों पर उत्पीड़न तेजी से बढ़ रहा है। सच्चाई यह है कि खुद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा दलितों के उत्पीडन के गंभीर मामले सामने आ रहे हैं। ताज़ी घटना प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज थाना क्षेत्र के मऊ गांव की है, जहां भाजपा विधायक धीरज ओझा के समर्थकों ने दलित परिवार के युवक विकास और उसके साथियों को मामूली कहा सुनी के बाद दौड़ा-दौड़ाकर पीटा है।
घटना के बाद जहां गंभीर रूप से घायल युवक विकास कुमार की हालत गंभीर बनी हुई है वहीं आरोपियों के खिलाफ नामजद तहरीर देने के बावजूद पुलिस विधायक के दवाब में कोई भी कार्रवाई नहीं कर रही है। पीड़ित जिला अस्पताल में भर्ती है।
घटना के बाबत दलित युवक ने बताया कि स्थानीय ग्राम प्रधान और उसके साथी वर्तमान विधायक धीरज ओझा के आदमी हैं इसलिए पुलिस मामले की लीपा-पोती में जुटी है। इस सम्बन्ध में जब विधायक धीरज ओझा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आरोप तो कोई भी किसी पर लगा सकता है। उन्होंने कहा कि मैं क्षेत्र में नहीं लखनऊ में था, यह मामला हमारे संज्ञान में आएगा तो हम कुछ करेंगे।
पीड़ित विकास ने बताया कि विधायक के लोगों ने दलित बस्ती का रास्ता रोक रखा था लेकिन इसके विरोध में हम थाने गए। विकास का कहना है कि हम थाने में कई बार गए तो कोई सुनवाई नहीं हुई उसके बाद हमें मजबूरन एसपी प्रतापगढ़ से मिलने जाना पड़ा जब हम उनसे मिलकर लौट रहे थे तो विधायक के लोगों ने लाठी डंडे के साथ दौड़ा लिया हम पांच छः लोग थे सभी को चोटें आई हैं।
आपको बता दें कि यूपी में पिछले एक दशक के दौरान दलित उत्पीडन की घटनाओं में जिस तरह से इजाफा हुआ है वो चौकाने वाला है अगर केवल 2014 के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश में दलितों की 245 हत्याएं हुई थीं जबकि पूरे देश में ऐसे कुल 744 मामले सामने आए थे। साल 2014 में उत्तर प्रदेश में दलितों की हत्या की दर राष्ट्रीय दर से दुगनी थी।
साल 2014 में उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध बलवे के 342 मामले दर्ज हुए थे जब कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे अपराधों की संख्या 1147 थी जो कि 0.4 प्रति लाख थी। उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध बलवे के अपराधों की दर राष्ट्रीय स्तर से लगभग डेढ़ गुना थी।
उत्तर प्रदेश में दलित महिलाओं को विवाह के लिए विवश करने के इरादे से 270 अपहरण हुए थे जब कि राष्ट्रीय स्तर पर इन मामलों की संख्या 427 थी। उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर ऐसे अपराध की दर राष्ट्रीय स्तर से तीन गुना से भी अधिक थी।
उत्तर प्रदेश में उक्त अवधि में दलित अपहरण के 383 मामले दर्ज हुए थे जबकि इसी अवधि में पूरे देश में ऐसे 758 मामले हुए। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में दलितों के अपहरण की दर राष्ट्रीय स्तर से दुगनी थी। वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध 8075 अपराध हुए थे, इसी अवधि में पूरे देश में दलितों के विरुद्ध 47064 अपराध घटित हुए थे।