लखनऊ, दीपक ठाकुर । बहुजन समाजवादी पार्टी पहले जहाँ समाजवादी पार्टी पर दागियों की पार्टी होने का आरोप लगाते नहीं थकती थी उसने भी इस बार चुनाव जीतने की ललक में ठीक ऐसा ही क़दम उठाया है।
सपा में अपना वर्चस्व बना चुके मुख्तार अंसारी के परिवार को जब इस बार अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी में बगावत के बावजूद जगह नहीं दी तो बसपा ने ये नेक दिली दिखाई है। बसपा सुप्रीमो ने बड़ी ख़ुशी के साथ अंसारी परिवार का पार्टी में ना सिर्फ स्वागत किया बल्कि ये बात भी कही की उनकी छवि अच्छी है इसलिए टिकट दिया।
अब यही बात समझ में नहीं आती की जब उनकी या अन्य लोगों की छवि इतनी अच्छी ही थी तो जब ये दूसरे दल में थे तब आपको उनके गलत होने की ग़लतफ़हमी क्यों होती थी।
क्या यहाँ ये ना समझा जाये की आपका ये क़दम इस डर से लिया गया है कि कहीं सपा और कांग्रेस पार्टी का गठबंधन आपके यू पी फतह की राह का रोड़ा ना बन जाए।
खैर जो भी हो यही राजनीति है जो साथ है वो पाक साफ है चाहे वो दूसरे दल से ही क्यों ना आया हो।यहाँ ये बात सिर्फ बसपा पर ही लागू हो ऐसा नहीं है राजनीती में तो दल बदल के साथ चरित्र भी बदलने लगे हैं उदाहरण कई हैं जो ये बताने के लिए काफी है कि इनके लिए सत्ता से ऊपर कोई नहीं।