देश की राजधानी दिल्ली समेत हरियाणा, यूपी और उत्तराखंड में भूकंप के तेज झटके महसूस किये गये. इस भूकंप की तीव्रता रियेक्टर स्केल पर 5.5 मापी गई है. हालांकि, इस भूकंप का केंद्र उत्तराखंड बताया जा रहा है. दरअसल, भूकंप आने पर लोगों में एक दहशत का माहौल बन जाता है. लोग घबरा कर इधर-उधर भागने लगते हैं. मगर भूकंप के दौरान जितनी क्षति भूकंप से होती है, उससे ज्यादा क्षति इस दौरान लोगों द्वारा बरती जाने वाली असावधानियों से होती है. इसलिए भूकंप के झटके से आप भी सहम गये हैं तो इस स्टोरी को पढ़ें और ये जानें कि आखिर भूकंप के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
चूंकि भूकंप के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. सो, अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अगर भूकंप सचमुच आ ही जाए, तो हमें क्या करना चाहिए, या क्या ऐसा है, जो हमें हरगिज़ नहीं करना चाहिए. इस वजह से विशेषज्ञ बीच-बीच में ऐसे उपाय सुझाते रहे हैं, जिनसे भूकंप के बाद होने वाले खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार नुकसान को कम करने और जान बचाने के लिए कुछ तरकीबें हैं, जिनसे काफी मदद मिल सकती है, सो आइए, आप भी यह उपाय जान लीजिए…
भूकंप आने के वक्त यदि आप घर से बाहर हैं, तो…
ऊंची इमारतों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें…
जब तक झटके खत्म न हों, घर-ऑफिस से बाहर ही रहें…
चलती गाड़ी में होने पर जल्द गाड़ी रोक लें, और गाड़ी में ही बैठे रहें…
ऐसे पुलों या सड़कों पर जाने से बचें, जिन्हें भूकंप से नुकसान पहुंचा हो…
भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं, तो…
फर्श पर बैठ जाएं, मज़बूत टेबल या किसी फर्नीचर के नीचे पनाह लें…
टेबल न होने पर हाथ से चेहरे और सिर को ढक लें…
घर के किसी कोने में चले जाएं, और कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें…
बिस्तर पर हैं, तो लेटे रहें, तकिये से सिर ढक लें…
आसपास भारी फर्नीचर हो, तो उससे दूर रहें…
लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें, लिफ्ट भूकंप के दौरान पेंडुलम की तरह हिलकर दीवार से टकरा सकती है, और बिजली जाने से रुक भी सकती है…
सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि आमतौर पर इमारतों में बनी सीढ़ियां मज़बूत नहीं होतीं…
झटके आने तक घर के अंदर ही रहें, और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें…
इन सबके बावजूद अगर बदकिस्मती से आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं, तो…
माचिस हरगिज़ न जलाएं, क्योंकि इस दौरान गैस लीक का खतरा हो सकता है…
कतई न हिलें, और धूल न उड़ाएं…
किसी रूमाल या कपड़े से चेहरा ज़रूर ढक लें…
किसी पाइप या दीवार को ठकठकाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके…
यदि कोई सीटी उपलब्ध हो, तो उसे बजाते रहें…
यदि कोई और ज़रिया न हो, तो चिल्लाते रहें, हालांकि चिल्लाने से धूल मुंह के भीतर जाने का खतरा रहता है, सो, सावधान रहें…