शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी:NOI– दुधवा टाइगर रिजर्व विश्व पटल पर अपनी नई पहचान बनाने के लिए तैयार हो गया है। इस बार मौका है इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल का, जिसका आयोजन दुधवा के जंगलों में होने जा रहा है। कार्यक्रम की तैयारियाॅ जोर शोर से चल रही है। बर्ड फेस्टिवल का दुधवा के लिए महत्व, उससे दुधवा को होने वाले फायदों और आयोजन के बारे में प्रधान मुख्य वन्य संरक्षक (वन्यजीव) एस. के. उपाध्याय ने दुधवा नेशनल पार्क के सभागार में पत्रकार वार्ता कर बताया।
उन्होंने बताया कि विगत दो वर्षों से यह बर्ड फेस्टिवल चम्बल की जंगली घाटियों में आयोजित किया जा रहा था। दूसरे वर्ष के आयोजन के दौरान ही यह बात उठी थी कि प्रदेश के इकलौते नेशनल पार्क को आगे चलकर इस आयोजन के लिए चुना जा सकता है। तभी इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिल 2018 के दुधवा में आयोजन के बीज पड़ गए थे। उन्होंने बताया कि 9 से 11 फरवरी तक बर्ड फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा। जिसमें देश-विदेश के पक्षी विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। 9 फरवरी को इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करने आ रहे हैं। पीसीसीएफ ने बताया कि दुधवा के ही निकट स्थित टाइगर हैविन (दुधवा के जन्मदाता बिली अर्जन सिंह का फार्म हाउस) को चयनित किया गया है। यहां 10 एकड़ की भूमि पर आगंतुकों के लिए गांव बसाया जा रहा है। इस नये बसाये जा रहे गांव का नाम बंगाल फ्लोरिकन चिढिया के नाम पर रखा गया है। यहां पर दुधवा में पाए जाने वाले पक्षियों की फोटो गैलरी भी प्रदर्शित की जाएगी। बर्ड फेस्टिवल में आने वाले मेहमानों को 9 फरवरी को सुबह-शाम दुधवा टाईगर रिजर्व के झाडीताल, सठियाना और बांकेताल के रास्तों पर ले जाया जाएगा। यहां पर पक्षियों का दिखना सबसे ज्यादा दर्शनिय होता है। इस तरह के 3 दिन में कुल 5 सेशन होंगे, जिसमें पक्षी विशेषज्ञ इन स्थलों पर जाकर सुंदर तस्वीरें ले सकेंगे। बाद में पक्षियों और दुधवा के अलग-अलग पहलूओं पर आधारित डिबेट भी रखी गयी हैं।
पीसीसीएफ ने बताया कि थारू कल्चर भी बर्ड फेस्टिवल का हिस्सा रहेगा। उनकी संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए कुल 30 स्टाल भी विलेज में लगाए जाने हैं। दुधवा में थारू नृत्य, उनके पहनावे का भी प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा 11 फरवरी को मेहमानों को बलरामपुर स्थित सुहेलवा वेटलैंड ले जाया जाएगा। यह स्थल कम चर्चित है लेकिन पक्षियों की विविधिता यहां भरी पड़ी है।
इस जगह पर कुल 40 मेहमानों को ले जाया जाएगा। पीसीसीएफ ने बताया कि दुधवा तक पहुंचने के जो भी संभव तरीके हैं, उसके जरिए बर्ड फेस्टिल तक लोगों को लाने की योजना है। इस संबंध में एनईआर रेलवे के अधिकारियों से भी वार्ता हुई है। जो बर्ड फेस्टिवल के दौरान मैलानी से बेलरायां तक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए राजी हो गए हैं। साथ ही सड़क माध्यम से भी यहां तक लोगों को लाने-लेजाने का पूरा प्रबंध किया गया है। इसके लिए रोडवेज बसें चलवाई जा रही है जो विभिन्न शहरों से चलेंगी। साथ ही प्राइवेट बस यूनियन से भी वार्ता जारी है।
फोटो माइक पांडेय*
*माइक पांडेय हैं ब्रांड एम्बेस्डर*
इन्टरनेशनल बर्ड फस्टिवल में अर्थ मैटर फाउंडेशन के माइक पांडेय को ब्रांड एम्बेस्डर बनाया गया है। माइक उत्तर प्रदेश के ही निवासी हैं, लेकिन उनका जन्म केन्या के नैरोबी शहर में हुआ। उन्हें वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट माना जाता है और उन्होने वाइल्ड लाइफ पर आधारित दर्जनो डाक्यूमेट्री फिल्में भी बनाई है। इस बार यह भी प्रयास रहेगा कि माइक पांडेय दुधवा में आकर यहां की वन्यजीव विविधता पर भी फिल्म तैयार करें, जिसका प्रदर्शन डिस्कवरी व नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर किया जाएगा। इससे दुधवा विश्व पटल पर नए सिरे से अपनी पहचान बनायेगा।
*बिली के फार्म में बन रहा बंगाल फ्लोरिकन गांव*
दुधवा से सटे टाइगर हैवन के निकट दस एकड़ जमीन में बंगाल फ्लोरिकन विलेज बनाया जा रहा है। जिसमें कुल 120 काटेज बनाए जाएंगे। इसमें से 20 की बुकिंग आम लोग कर सकेंगे। इसके लिए एक व्यक्ति से 8500 से 10 हजार रूपये का शुल्क लिया जाएगा। जिसमें खाने ठहरने की व्यवस्था के साथ बर्ड फेस्टिवल के हर आयोजन का हिस्सा बनने और दुधवा भ्रमण की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। एक काटेज में दो लोगो के रहने की व्यवस्था है। बर्ड फेस्टिवल में आने वाले मेहमानों व सैलानियों को बांकेताल, किशनपुर सेंचुरी के झाडीताल और सठियाना ले जाया जाएगा जहां वे विभिन्न प्रजाति के पक्षियों के दीदार कर सकेंगेे। इसके साथ ही उन्हे पूरे पार्क का भ्रमण कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त पदमश्री व पालगेटी पुरस्कार विजेता तथा दुधवा के अवैतनिक वार्डेन रहे बिली अर्जन सिंह की नेशनल पार्क के निर्माण में क्या योगदान रहा।