जबलपुर ।सब धर्मों को मिटाकर सबका एक धर्म नहीं बनाया जा सकता। जो समुदाय जिस धर्म का पालन करता आ रहा है, उसको डंडे के बल पर समाप्त नहीं किया जा सकता। यह विविधता है, इसके भीतर मानवता एकता है। देश में एक ही धर्म रहे, इसके लिए दूसरे धर्मों को मिटाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए, शासन को पक्षपात विहीन होना चाहिए। यह कहना है ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का। महाराजश्री ने शंकराचार्य मठ बगलामुखी मंदिर में एक बयान में कहा कि 3 तलाक को कानून से रोकने जो प्रयास किया जा रहा है, वह ऐसा है जैसे पौधे को सींचने के लिए जड़ को छोड़ पत्तियों को सींचा जाए। जैसे मुस्लिमों की शरीअत होती है वैसे हिन्दुओं की स्मृतियां होती हैं। हिन्दू कोड बिल भी हिन्दुओं के लिए शरीअत की तरह था जिसे सरकार ने बदल दिया और कानून बना दिया। वहीं नियम मुस्लिम पुरुष के लिए क्यों नहीं किया जाता। एक साथ 4 बीबियां रखने की परंपरा समाप्त कर दी जाए तो मुस्लिम पुरुष कभी तलाक नहीं देंगे और नारियों को सौत के साथ रहने की यंत्रणा से मुक्ति मिलेगी। हुआ था विरोध शंकराचार्य जी ने कहा कि यह स्मरण रहे कि हिन्दू कोड बिल का बड़ा विरोध हुआ था,फिर भी विरोध को नहीं सुना गया था।