देहरादून। दून में करीब एक करोड़ साल पुराना भूकंपीय फॉल्ट आज भी सक्रिय स्थिति में है। गंभीर यह कि इस हलचल से भूगर्भ में कितनी ऊर्जा संचित हो गई होगी, इससे वैज्ञानिक पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। यह ऊर्जा विशाल भूकंप के रूप कब बाहर आएगी, इसका जवाब भी फिलहाल वैज्ञानिकों के पास नहीं है। फॉल्ट की सक्रियता का खुलासा वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के अध्ययन में हुआ है।
हिमालय की उत्पत्ति के बाद भी करोड़ों साल तक इसके निर्माण की प्रक्रिया जारी रही और इसी में से एक करीब 1600 किलोमीटर लंबे सब-हिमालय का निर्माण हुआ। खास बात यह कि इस निर्माण की तस्दीक करता एक अहम फॉल्ट उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के शहंशाही आश्रम क्षेत्र में है और इसे शहंशाही आश्रम फॉल्ट या मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) भी कहा जाता है।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की स्ट्रक्चर एंड टेक्टोनिक्स डिविजन के वैज्ञानिक डॉ. सुरेंद्र सिंह भाकुनी के अनुसार इस फॉल्ट की सक्रियता का पता इस बात से चलता है कि यहां पर करीब 120 करोड़ साल पुरानी चट्टानें महज 25 हजार साल पुराने दून के अवसादों के ऊपर चढ़ रही हैं। पहले इस अवसाद की उम्र 30 हजार बताई जा रही थी, लेकिन वाडिया संस्थान के पूर्व निदेशक व वर्तमान में भी शोध कार्य में लगे डॉ. वीसी ठाकुर के ताजा शोध में यह उम्र 25 हजार आंकी गई।
डॉ. भाकुनी के मुताबिक सामान्य स्थिति में 120 करोड़ साल पुरानी चट्टानें नीचे होनी चाहिए। इस सक्रियता के चलते भूभाग दक्षिण की तरफ खिसक रहा है। यानी धरती के नीचे पैदा हो रहा तनाव ही इस सक्रियता का कारण है, लेकिन इस क्षेत्र में अभी तक कोई भी स्तरीय भूकंप रिपोर्ट नहीं किया गया है। साफ है कि फॉल्ट के सक्रिय होने के बाद भी ऊर्जा बाहर नहीं आ पा रही। यह तो कहा जा सकता है कि यह ऊर्जा कभी भी भूकंप के रूप में बाहर आ सकती है, लेकिन यह भूकंप कब आएगा और उसकी तीव्रता कितनी होगी, यह कह पाना मुश्किल है।
मोहंड फॉल्ट में भी सक्रियता के प्रमाण
वाडिया संस्थान की स्ट्रक्चर व टेक्टोनिक्स डिविजन के वैज्ञानिक डा. भाकुनी के मुताबिक शहंशाही आश्रम के फॉल्ट जैसी सक्रियता मोहंड के फॉल्ट में भी नजर आ रही है। करीब पांच लाख साल तक पुराने इस फॉल्ट को हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (एचएफटी) भी कहा जाता है। इसकी सक्रियता का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने सब हिमालय की एक करोड़ साल पुरानी चट्टानों और महज 3363 साल पुराने गंगा-यमुना के मैदान के अवसादों की स्थिति का अध्ययन किया।
पता चला कि फॉल्ट की सक्रियता के चलते एक करोड़ साल पुरानी चट्टानें यहां पर भी नए अवसाद के ऊपर चढ़ रही है। इसके साथ ही यहां पर धरातलीय बदलाव का भी अध्ययन किया गया। डॉ. भाकुनी के फॉल्ट की सक्रियता के कारण भूभाग प्रतिवर्ष 13.8 मिलिमीटर दक्षिण की तरफ व 6.9 मिलीमीटर ऊपर की तरफ उठ रहा है। इस फॉल्ट में भी एमबीटी की तरह कोई भूकंप रिपोर्ट नहीं किया गया है, लिहाजा यहां पर बेहद शक्तिशाली भूकंप की आशंका बनी है।
जोन चार और पांच में है दून
भूकंप की दृष्टि से दून अति संवेदनशील श्रेणी यानि जोन पांच में शामिल है। शहरी इलाका जोन चार और दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र जोन पांच में है। भूकंप राज्य या आसपास कहीं भी आए, इससे दून की धरती डोलती रहती है।