दीपक ठाकुर,न्यूज़ वन इंडिया। हमारे देश मे शासन चलाने का अधिकार सरकार के पास होता है वो जो चाहती है वही करती है हाल में नोटबन्दी जिसका ज्वलंत उदाहरण भी है मगर सरकार के फैसले के अलावा भी कोई एक ऐसी ताकत है जो हमारी मुद्रा को बंद करने का मापदा रखती है वो है थोक और फुटकर व्यापारी।
ये वो वर्ग है जो सिक्को को चलन से बाहर का रास्ता बिना किसी संकोच और घबराहट के साथ दिखा देता है आज से पहले 10 के सिक्के को लेकर भी इसी वर्ग ने ऐसी अनदेखी दिखाई के एक के सिक्के बाज़ार से गायब हो कर ही माने जो चल रहे हैं वो उनकी पसंद वाले ही चल रहे हैं ये खुद बता देते है कि कौन सा असली है कौन सा नकली मानो सिक्के की फैक्ट्री भी इन्होंने ही डाल रखी हो।
आजकल एक रुपये का सिक्का इनकी नज़र पर चढ़ गया है जिस वजह से लोग काफी परेशान हैं सरकार भी कोई ठोस कदम नही उठा रही जिससे इनके हौसले बुलंद हैं।हालांकि रिज़र्व बैंक तक ये बात कह चुका है कि एक रुपये का सिक्का पूरी तरह वैध है पर इनके दिमाग की उपज ने उस सिक्के को बेचारा बना कर रख छोड़ा है।
अखबारों में भले ये खबर प्राथमिकता से दिखाई जाती हो कि फला जगह एक का सिक्का ना लेने पर बड़ी कार्यवाही की गई हो पर इन खबरों का असर इस वर्ग पर होता बिल्कुल नही दिखाई दे रहा जो एक के सिक्के पहले जेबो में रहा करते थे आज नालियों में फेंके जा रहे हैं कारण एक बार फिर वही है व्यापारी वर्ग की इसको लेकर उदासीनता और सरकार का ढुलमुल रवैया।
होना तो ये चाहिए कि सिक्का ना लेने वालों पर देश द्रोह जैसा मुकदमा दर्ज होना चाहिए एक हेल्पलाइन नम्बर भी इस मामले में जारी करना चाहिए कि जहां इस तरह की बात हो वहां एक फोन कॉल पर कार्रवाई हो ना कि उसका वीडियो बनाया जाए फिर जिलाधिकारी आफिस में गुहार लगाई जाए।अरे अपने ही देश की मुद्रा खुद के देश वाले नही लेंगे तो कौन लेगा इस वर्ग को सबक सिखाने के लिए सरकार सख्त रुख क्यों नही अपनाती समय से पहले इसका वजूद क्यों खत्म किया जा रहा है जबकि बिना इसके तो व्यवहार भी पूरा नही होता।