लखनऊ, दीपक ठाकुर। भारत की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक एंव वैज्ञानिक कला योग को वापस दुनिया की दैनिक दिनचर्या में लाने के लिये भारत सरकार नें न सिर्फ दुनियाभर में दबाव बनाया बल्कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित कराया।तीसरे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का मुख्य आयोजन इसबार दिल्ली की जगह यूपी की राजधानी लखनऊ में किया गया लेकिन यहां जिला प्रशासन की जमकर लापरवाही देखने को मिली।
आज से करीब 15 दिन पहले ही मौसम विभाग नें चेताया था कि 20-21 जून को मानसून का आगमन होगा और बारिश होगी हांलाकि 15 जून से ही लखनऊ सहित आसपास के इलाकों में प्री मानसून बन चुका था और छुट-पुट बारिश शुरू हो चुकी थी।इधर योग दिवस कार्यक्रम की तैयारियां भी लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर रैली स्थल करीब 15 दिन पहले ही शुरू हो चुकी थी। कार्यक्रम सजाने के लिये दिल्ली से दर्जनों लोगों की टीम लगातार कार्यक्रम स्थल पर दिन-रात काम कर रही थी इस बीच 16 जून को लखनऊ में बारिश हुई कार्यक्रम स्थल की तैयारियों को झटका लगा लेकिन फिर से सब तैयार कर लिया गया।
मौसम विभाग नें एकबार फिर चेताया कि 21-22 जून को मानसूनी बारिश लखनऊ में होगी खबरें अखबारों से लेकर चैनलों तक में लगातार चली जिम्मेदार अधिकारियों को आगाह करने का प्रयास किया गया लेकिन शायद ये खबर उनके कानों तक नहीं पहुंची या फिर उन्होंने वीवीआईपी से अलग आम जनता के लिये बारिश से बचाव के इंतजाम करने की जरूरत नहीं समझी।और फिर आज 21 जून को वहीं हुआ जिसकी आशंका थी भोर के करीब 3 बजे ही बारिश शुरू हो गई हजारों की संख्या में लखनऊ के विभिन्न इलाकां से आये हजारों युवक-युवतियां बुजुर्ग, महिलायें व छात्र लगातार घंटो तक भीगते रहे और फिर जब उन्हे बर्दाश्त नहीं हुआ तो शुबह 6 बजे से वो वापस होने लगे।
हजारों की संख्या में लोग बिना अपने पीएम को देखे ही बिना अपने पीएम के साथ योग किये ही।अपनी कई दिनों की मेहनत और रिहर्सल को मूर्त रूप दिये बिना ही अपनी भावनाओं को पूरा किये बिना ही जिला प्रशासन को कोसते हुये वापस लौट गये।इससे न सिर्फ प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में आने वाले लोगों की संख्या कम हुई बल्कि बड़ी संख्या में लोग परेशान हुये देश ही नहीं दुनिया की मीडिया नें ये नजारा देखा कि देश के प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना पर अधिकारी कितने संवेदनशील हैं 24 घंटों में 18 घंटे काम करने वाले प्रधानमंत्री का साथ देने के लिये आम आदमी आधी रात को आकर घंटो तक बारिश में भीग सकता है लेकिन अधिकारी उसे सीरियस लेने की जरूरत नहीं समझते।
उन्हे इस बातक का भी शायद अहसास नहीं है कि इससे उनकी और उनके देश की दुनिया की बिरादरी में क्या इज्जत होगी।सवाल उठता है कि आखिर क्यों नहीं बारिश से बचाव के लिये वाटर प्रूफ टेंट की व्यवस्था की गई।जबकि सबको सबकुछ पहले से पता था आखिर क्या इतनी बड़ी लापरवाही को भी मामूली बात कहकर खतम कर दिया जायेगा।
अगर बारिश से बचावा के इंतजाम देखना हो और सीख लेनी हो तो ज्यादा दूर नही हरिद्वार में हुये योग कार्यक्रम की फोटो देख लीजिये समझ में आ जायेगा कि तैयारी कैसे की जाती है। क्या ऐसे ही सिस्टम चलता रहेगा और जनता परेशान होती रहेगी? मैं उम्मीद करता हूं कि यूपी सरकार को जिम्मेदार अधिकारियों से जरूर पूंछना चाहिये कि आखिर बारिश से बचाव के इंतजाम क्यों नहीं किये गये।सवाल तो बहुत हैं देखना होगा कि जवाब कितनों का मिलता है।