लखनऊ,दीपक ठाकुर। रेलवे प्रणाली हमारे देश की बेहद विस्तृत और संवेदन शील प्रणाली है जिसको सुगम बनाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए है जिसमे इंटरनेट के द्वारा यात्रियों को रेलवे की जानकारी मोहय्या कराए जाने और स्टेशनो पर बने पूछताछ केंद्रों पर हमेशा सही जानकारी देने की मुख्य बातें शामिल है। और सरकार इन सबको लेकर जी भर के अपनी पीठ भी थपथपाती है मगर हकीकत में ये सेवाएं कैसी सेवा दे रही है ये हर यात्री का दिल जानता है जो इनसे पीड़ित है।
पहले आइए आपको पूछताछ केंद्र की दशा से परिचित कराते हैं अब आप लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन पर खड़े है एक नबर गेट के पास आपको भयंकर भीड़ दिख रही होगी बस वही वो जगह है जहां से आपको गाड़ियों की जानकारी देने का दावा विभाग द्वारा किया जाता है यानी पूछताछ केंद्र अब आप भीड़ से धक्का मुक्की करने के बाद खिड़की तक आ गए अंदर झांक के देखा तो किसी एक कुर्सी पर शायद कोई आपको दिख जाए और जब उससे गाड़ी के बारे में पूछियेगा तो वो इशारा कर देगा कि बाहर लिखा है देख लो ये भी तब कहेगा जब कान से मोबाइल हटाने की फुरसत मिलेगी साहब या मेमसाहब को तब।
मतलब ये के जिस मैन्युअल सुविधा का सरकार और विभाग छाती थोक कर बेहतर सेवा देने का वादा करता है वो हक़ीक़त में पूरी तरह खोखला ही नज़र आता है।अब आइए इंटरनेट की सुविधा पर तो साहब इसके लिए जब आप अपने मोबाइल के एप्प पर जाएंगे तो ये महाशय शायद ही आपको ट्रेन की सही स्थिति से परिचित करा पाएंगे क्योंकि ये तो सीधे यही शो करते हैं कि एक घण्टा पहले अपडेट हुई ये पोजिशन है बाकी आप जाने और आपका काम ट्रेन कानपुर में है तो बताएंगे भीमसेन में खड़ी है रिफ़्रेश करो तो वही जवाब की ताजा अपडेट नही है अब बताइये इनके भरोसे सफर करना संभव है नही सही कहा आपने यही वजह है कि कितनो की ट्रेन इंटरनेट की वजह से छूट जाती है।
अब यहां सरकार से ये विनम्र अनुरोध ये है कि पहले तो पूछताछ केंद्र पर बैठे कर्मचारियों को ये सख्त हिदायत दें कि उनके लिए यात्रियों की समस्या का निवारण करना जरूरी है ना कि फोन लगा कर समय बिताना ज़रूरी है तनखा यात्रियों की सुविधा के लिए दी जाती है फोन चलाने की नही।और दूसरी बात इंटरनेट की सर्विस पर थोड़ा ध्यान दीजिए अपडेट्स जल्दी जल्दी करवाइये ताकि किसी की गाड़ी छूटने का ज़िम्मेवार रिलवे सिस्टम ना हो। और क्या कहूँ इतना ही करा दीजिये तो शायद यात्रियों का पसीना व्यर्थ नही जायेगा।