अम्बेडकर नगर. आठ साल पहले 6 साल के भाई और 5 साल की बहन के सिर से पिता का साया ऐसे हालात में उठ गया कि इन दोनों मासूमों की देखभाल तक करने वाला कोई नहीं बचा। पड़ोसियों के रहमोकरम पर ये बच्चे जैसे तैसे जिंदगी गुजार रहे थे कि अचानक इनके सिर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। अपने जीवन काल में इनके पिता ने खेती के लिए बैंक से लोन लिया था और लोन का पैसा जमा न होने के कारण बैंक ने इस नाबालिग के खिलाफ आरसी जारी कर दी थी। अपने ऊपर आई इस आफत से घबरा कर जब यह मासूम तत्कालीन जिलाधिकारी विवेक से मिलकर अपनी समस्या बताई तो उन्होंने इन दोनों भाई बहनों की पूरी मदद की और बैंक का सारा बकाया अपने पास से जमा कर इन दोनों के पदेन संरक्षक बन गए, जो आज भी जमीन के अभिलेखों में दर्ज है।
अब इस नाबालिग भाई बहन की एक बड़ी बहन, जिसकी शादी पिता ने ही कर दी थी और वह अपने पति के साथ जबलपुर में रहती थी, जिसने उस समय इन मासूमों की कोई मदद नहीं की, लेकिन अब इनकी जमीन हथियाने की पूरी साजिश कर चुकी है और विरोध करने पर अपने ही से नाबालिग भाई को तरह तरह की धमकी दे रही है।
ये है पूरा मामला
अम्बेडकरनगर जिले के अकबरपुर विकास खंड के ग्राम दुखकर, जहां के निवासी सलमान हैदर उम्र 13 साल। सलमान के पिता मोहम्मद हसनैन की मौत वर्ष 2010 में हो गयी थी।
दोनों की ही मौत किसी गंभीर बीमारी के चलते हुई थी। माता पिता की मौत के बाद सलमान और उसकी छोटी बहन सोफिना फातिमा बेसहारा हो गए। घर में अकेला होने के नाते सलमान के कन्धों पर उसकी बहन का भी बोझ आ गया। सलमान की बड़ी बहन दिलनाज जिसकी शादी उसके माता पिता जबलपुर मध्यप्रदेश में कर दिए थे और वह अपने घर रहने लगी। मां-बाप के मरने के बाद इन दोनों को देखने वाला कोई नहीं था, पड़ोसियों के सहयोग से ये दोनों मासूम जैसे तैसे अपनी जिंदगी गुजार रहे थे कि इसी बीच बैंक ने सलमान के पिता द्वारा लिए गए लोन की भरपाई के लिए 10 साल के मासूम सलामन के नाम से तीस हजार रुपये बकाया का आरसी नोटिस भेज दिया था।
जो दो जून की रोटी की व्यवस्था नहीं कर सकता था वह तीस हजार कहां से लाता ऐसे में गांव के एक व्यक्ति के सहयोग से सलमान 2015 में तत्कालीन जिलाधिकारी के पास पहुंचा। सलमान की व्यथा जान कर डीएम ने बैंक का कर्जा जमा कर, अंबेडकरनगर डीएम को उसका और उसके प्रापर्टी का संरक्षक नियुक्त किया, जिससे सलमान की जमीनों पर कोई कब्जा न कर सके और तब से आज तक अंबेडकरनगर डीएम ही उसके प्रॉपर्टी के संरक्षक हैं।
बता दें कि सलमान की बड़ी बहन जो इन लोगों से कोई वास्ता भी नहीं रखती थी वही अब अधिकारियों की मिली भगत से फर्जी तरीके से प्रधानमंत्री आवास आवंटित करावा लिया और अब वह आवास का निर्माण सलमान की जमीन पर जबरदस्ती करवा रही है।
सरकारी कर्मचारियों की मिली भगत से हो रहा है गोरखधंधा
जिस नाबालिग भाई बहन की जिम्मेदारी खुद डीएम ने उठाई हो और बतौर संरक्षक अभिलेखों में पदेन जिलाधिकारी को बनाया गया हो ऐसी जमीन पर किसी और को सरकारी धन स्वीकृत कर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देना फ्राड है। सवाल यह उठता है कि जब दिलनाज की शादी जबलपुर मध्यप्रदेश में हो गयी है तो उसको यहां सरकारी आवास कैसे दिया गया। पैसे के बन्दर बांट का बड़ा खेल साफ है। जालसाजी से दिलनाज का नाम प्रधान मंत्री आवास के लिए भेजा गया और उसका आवास पास भी हो गया। आवास की पहली किस्त भी आ गयी, पैसे के बन्दर बांट के बाद जब प्रशासन सख्त हुआ तो अपने आपको बचाने के लिए इसमें शामिल लोगों ने आनन-फानन में जबरिया सलमान की जमीन में ही निर्माण शुरू करा दिया गया।
जब इसकी पड़ताल गहराई से की तो प्रधानमंत्री आवास के पैसों की बांट सामने आयी। बता दें की प्रधानमंत्री आवास का पात्र वही है जो गांव का निवासी हो और उसके नाम उसकी खुद की जमीन हो। पात्रता न होने के बावजूद दिलनाज को आवास कैसे अलॉट हो गया और आवास अलॉट करते समय अधिकारियों की नज़र पात्रता पर क्यों नहीं पड़ी। जब आवास का पैसा रिलीज हो गया और बन्दर बांट भी तो अधिकारी अपनी गरदन बचाने के लिए जबरदस्ती धमाका कर सलमान की जमीन में निर्माण करवा रहे है और ऐसी जमीन पर जिसके संरक्षक खुद जिले के जिलाधिकरी हों। दर दर की ठोकरें खा रहा पीड़ित सलमान का आरोप है कि उसकी बहन जबरन उसकी जमीन पर कब्जा कर रही है। इसकी शिकायत जब डीएम से किया तो उन्होंने एसडीएम के पास भेज दिया और वहां जाने पर एसडीएम साहब ने कहा कि मकान बनने दो नहीं तो जेल भेजवा देंगे। थाने पर गया तो वहां भी जेल में डालने की धमकी दी जा रही है।