दीपक ठाकुर,न्यूज़ वन इंडिया। निकाय चुनाव को हल्के में लेने वाली पार्टियों ने इस बार ऐसी गलती करने से तौबा कर ली है वजह ये है कि भारतीय जनता पार्टी ने हर मोर्चे पर विपक्षी दलों को नाको चने चबवा दिए है।अब ऐसे में ये चुनाव जहां जहां भी हुए वहां अन्य दलों ने अपनी नई ऊर्जा लगा कर इसको अपने अस्तित्व की लड़ाई के तौर पर लिया है उसी तरह उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भी समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी ने कायदे की कमर कस ली है ताकी वो भाजपा को कुछ सकते में डाल सके अगर परिणाम उनके पक्ष में गिरे तो और यही वजह भाजपा के लिए चिंता का सबब बनी है।
ऐसा भाजपा कार्यालय में स्पष्ट रूप से दिखाई भी दे रहा है जहां टिकट को ले कर उम्मीदवार तो कई खड़े हैं पर उम्मीदवारी किसको मिलेगी इसकी भनक तक किसी को नही यहां तक कि शीर्ष नेतृत्व भी ये नही तय कर पा रहा के कौन उसकी कसौटी पर खरा उतरेगा यही वजह है कि अभी तक मेयर और पार्षद के उम्मीदवारों का एलान तक नही कर का रही है।हालांकि टिकेट को लेकर लोगों ने खर्चा तो बहुत किया पर किसके खर्चे पर चर्चा हुई या हो रही है ये कहना बड़ा मुश्किल है खर्चे से हमारा मतलब है कि टिकेट की चाह में उम्मीदवार दिल्ली तक पहुंच गए हैं निजी खर्चे पर लेकिन अभी तक उन्हें सुकून का जवाब नही मिल पाया है।
हालिया भाजपा का जो माहौल है उसे देख कर हर उम्मीदवार उसका टिकेट अपनी जीत की गारंटी मान रहा है मगर पार्टी की सोच इससे बिल्कुक अलग दिखाई दे रही है जिस वजह से जल्दबाज़ी में कोई घोषणा नही की जा रही है सूत्रों की माने तो पार्टी के भीतर असन्तोष के स्वर भी सुनाई देने लगे है पर पार्टी इन सबको तवज्जो देने के मूड में नही दिखाई दे रही है वो इस बार के निकाय चुनाव को 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान कर अपनी रणनीति बनाने का प्रयास करने में जुटी है।