सीतापुर-अनूप पाण्डेय,मनीष मिश्रा:NOI।सूबे से लेकर देश तक सर्व शिक्षा अभियान का बिगुल बज रहा है ! सरकारें भरपूर प्रयास करती हैं कि सर्व शिक्षा का नारा सफल हो सके ! परंतु ऐसा प्रतीत होता नजर नहीं आ रहा है ! सरकारों द्वारा स्कूल चलो अभियान , सर्व शिक्षा अभियान सहित कई अन्य अभियानों की शुरुआत सब को शिक्षित करने के लक्ष्य से की जाती है ! इससे अभिभावकों में जागरुकता आए और बच्चे आगे आकर शिक्षा ग्रहण करें ! इसके साथ ही रैलियां , मिड डे मील , निशुल्क ड्रेस वितरण , निशुल्क पुस्तकें सहित तमाम योजनाये जिससे शिक्षा को पूरे प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बनाया जा सके ! स्कूलों में अध्यापकों की भी कम दिलचस्पी से बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रेरित ना कर पाना भी बाल श्रमिकों की संख्या में बढत और ग्रामीण क्षेत्र से विद्यालय में पढ़ने योग्य बच्चों की संख्या घटती जा रही है ! अगर विकास खंड क्षेत्र का भ्रमण कर लिया जाए तो बड़ी संख्या में पढ़ने योग्य बच्चे स्कूल में नाम लिखाकर परिवार का भरण पोषण के लिए काम करते हैं ! जैसे कई बच्चे वर्क शॉप , ईंट भट्ठों , जोखिम वाले कारखानों , दुकानों , होटलों और मजदूरी करते नजर आते हैं , और हर किसी के नजर के सामने रोजाना आते जाते हैं ! पढ़ने की ललक तब खत्म हो जाती है जब बड़े परिवारों के बच्चे परिवार का खर्च चलाने के लिए काम करने के लिए विवश हो जाते हैं ! और पढ़ाई लिखाई में मन न लगाकर काम कर के परिवार का भरण पोषण करने का मन बनाते हैं ! इसे रोकने के लिए बाल श्रम कानून बनाया गया है ! जिसके लिए बाकायदा हर तहसील क्षेत्र में सरकारी अमला भी तैनात किया जाता है ! लेकिन कागजी खानापूर्ति कर के काम चला रहे है ! इस अमले के कोई भी प्रयास कारगर होते नहीं दिखाई देते हैं ! इस दिशा की ओर काम कर रहे सामाजिक संगठनो , एनजीओ की भूमिका भी अपने प्रयासो मे असफल होती नजर आ रही है ! जिसके लिए सरकारों को टीम गठित कर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए जिससे स्कूलों में बच्चों की संख्या में इजाफा हो सके !