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Wednesday, October 16, 2024

​न्यूज़ वन इंडिया व लखीमपुर खीरी जेलर की खास मुलाकात।

शरद मिश्रा”शरद”

लखीमपुर खीरी:NOI– अपराधी जब अपराध करता है तो उसे जेल भेजा जाता जहाँ वो अपने द्वारा किये गए अपराध का प्रयाक्षित करता है और काफी हद तक सही भी रहता है कि अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे रहकर अपने घर परिवार से अलग रहकर दोषी अपराधी जेल में घुटन महसूस करते है यही घुटन उनके द्वारा किये गए अपराधों का प्रयाक्षित कराती है।

हालांकि कुछ अपराधी ऐसे होते है जो न चाहिते हुए भी अपराधों के घेरे में आ जाते है और जेल में एक बंदी की तरह जीवन काटते हुए अपनी बेकसुरी व लाचारी पर आंशू बहाते है।

जब न्यूज़ वन इंडिया के जिला प्रभारी शरद मिश्रा ने लखीमपुर खीरी जेलर ज्ञान प्रकाश से मुलाकात की तो मुलाकात के दौरान जो बातें हुईं उन बातों से ये लगा कि अपराधी अपराध करके जब जेल की सलाखों में आता है तो जेल अपराधियों के लिए प्रयाक्षित करने की सही जगह है।

आइये हम उन बातों को रखते है जो लखीमपुर खीरी जेलर व न्यूज़ वन इंडिया सवांददाता के बीच हुई।

न्यूज़ वन इंडिया:- जेलर साहब क्या जेल के कैदियों के प्रयाक्षित करने की जेल अच्छी जगह है।
जेलर:- मिश्रा जी अपराधियों के लिए उनके अपराध के प्रयाक्षित के लिए जेल एक अच्छी जगह है जहाँ वो अपने परिवार से दूर रहता है और बंद चार दिवारी में घुटन महसूस करता है जिससे वो अपराधी अपने अपराधों को याद कर प्रयाक्षित करता है।

न्यूज़ वन इंडिया:- कुछ अपराधी ऐसे भी होते है जो अपनी सजा काट कर फिर अपराधों की दुनियां में चले जाते है।
जेलर:- जी सही कहा मिश्रा जी ऐसे कई अपराधी होते है जो जेल की सजा काटने के बाद भी अपराधों की दुनियां में फिर से वापस लौट जाते है ऐसे अपराधी अपनी जिंदगी के बारे में न सोच बस अपराध करते जाते है जिससे एक न एक दिन उनका अंत निक्षित होता है।

न्यूज़ वन इंडिया:- जेलर साहब जब में जेल के अंदर प्रवेश कर रहा था तो यहाँ के जेल कर्मी काफी अनुशाषित दिखे और जेल की सफाई भी स्वक्ष भारत मिशन की राह पर चल रही है इसके पीछे किसका हाथ है।
जेलर:- जी एक अच्छी और सच्ची जेल की यही पहचान है कि जेल कर्मी अनुशाषित भाव से आये हुए परिजनों से ठीक से पेश आये रही बात स्वक्षता की तो सफाई तो हमारे दैनिक जीवन मे बहुत जरूरी है वो चाहे अपना घर हो या फिर जेल।

जेल को भी हम अपना घर समझते है और यहाँ के कैदी भाई इस घर का एक हिस्सा है इस घर को चलाने के लिए मुझे स्वयं भी एक कैदी की ज़िंदगी जीना पड़ता बस कुछ क्षण बाहर आकर अपने घर वालों के साथ समय बिताने का स्वभाग्य मुझे प्राप्त है और ये स्वभाग्य आंशिक रूप से सभी कैदियों को प्राप्त है जो मिलना चाहिता है वो मिलाई के दौरान मिल लेता है।
इन सब बातों के बाद जेलर ज्ञान प्रकाश ने कहां की लाख सुविधाएं होने के बावजूद भी कोई जेल न आये क्योंकि जेल तो जेल है यहाँ पर आया इंसान अपने परिवार से अलग होकर रो रोकर दिन काटता है।

इतना कहते हुए जेलर ज्ञान प्रकाश ने अपनी बात को समाप्त किया।

में जब बाहर आया तो मुझे वाकई लखीमपुर खीरी जिला जेल में एक आदर्श जेल के लक्षण दिखें जो सीधे तौर पर वहाँ के तेजतर्रार व अत्यंत कर्तव्यनिष्ठ जेलर ज्ञान प्रकाश की तरफ इशारा कर रहे थे कि इस जेल को आदर्श जेल बनाने में जेलर का बहुत बड़ा योगदान है।

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