देशभर में फिल्म पद्मावति पर विवाद चल रहा है। फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के अलग-अलग तरीके देखें जा रहे हैं कोई संजय लीला भंसाली का पुतला फूंक रहा है तो कोई दीपिका पादुकोण के पुतले को जूतों की माला पहना रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देशभर की अदालतों से कहा कि विरोध को एक तरफ रख के कलाकारों की आजादी के मामले में हस्तक्षेप करने में आध्यात्मिक निष्क्रियता बरतें। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री ‘एन इनसिग्निफिकेंट मैन’ की रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग खारिज करते हुए यह बात कही।
यह फिल्म आज 17 नवंबर को रिलीज होगी। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि फीचर फिल्म का ये मतलब नहीं होता कि उसे शुद्धतावादी होना चाहिए। तीन जजों की बेंच ने कहा कि फिल्म की अभिव्यक्ति ऐसी होनी चाहिए जो दर्शकों के चेतन और अवचेतन मन को प्रभावित करे।
जजों ने उन हिंसक तत्वों को गलत ठहरा रही है जो पद्मावती का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावती की रिलीज पर स्टे लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने अपनी तरफ से स्पष्ठ किया था कि यह मामला सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन और फिल्म सर्टिफिकेशन अपलेट ट्राइब्यूनल के अधिकार क्षेत्र का मामला है।
गुरुवार को कोर्ट ने कहा था कि अदालतों को सृजनात्मक कार्य करने वाले व्यक्ति को नाटकस किताब लिखने, दर्शन या अपने विचारों को फिल्म या रंगमंच से अभिव्यक्त करने से रोकने के फैसलों पर अत्यधिक निष्क्रियता बरतनी चाहिए।