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Tuesday, January 14, 2025

​परिषदीय शिक्षकों के स्थानांतरण/समायोजन में पेंच को लेकर शिक्षकों में भ्रम सर्वोच्च न्यायालय का स्थगनादेश स्थानान्तरण/समायोजन में भी हो सकता है प्रभावी

लखनऊ:- परिषदीय शिक्षकों के समायोजन/स्थानान्तरण में पेंच ही पेंच दिख रहे है, ऐसे में शासन द्वारा बनायीं गयी नीति सरकार के ही गले की हड्डी बन सकती है। गौर तलब तो यह है कि अभी तक सितम्बर माह की छात्र संख्या पर जनपदीय समायोजन/स्थानान्तरण होते रहे है! लेकिन इस बार अप्रैल माह की छात्र संख्या पर शिक्षकों के स्थानांतरण/समायोजन किये जा रहे है। परिषदीय विद्यालयों में अप्रैल माह में बच्चों के प्रवेश पर गौर करे तो संख्या शून्य ही रहती है। वैसे भी परीक्षा के बाद बच्चे स्वयं स्कूल आना बंद कर देते है इससे कक्षा एक में प्रवेश न के बराबर रहता है ग्रीष्मावकाश के बाद जुलाई माह से ही प्रवेश की शुरुआत होती है जो 30 सितम्बर तक चलती रहती है। और फिर अभी तक स्थानांतरण प्रायः 30 सितम्बर की छात्र संख्या के आधार पर हुआ करते थे। कक्षा 1 व 6 में छात्र संख्या का सही आकड़ा सरकार के लक्ष्य को हवा हवाई साबित कर सकता है।क्योकि सरकार की मंशा है कि 30 बच्चों पर एक शिक्षक को तैनाती दी जा सकेगी। सरप्लस टीचर को एकल व ज्यादा छात्र संख्या वाले विद्यालयों मे समायोजित किया जाये! लेकिन अप्रैल माह की छात्र संख्या पर जहां शिक्षक सरप्लस दिख रहे है वही सितम्बर की छात्र संख्या में शिक्षकों की कमी से विभाग को जूझना पडेगा तब यह शिक्षक – छात्र अनुपात: धरा का धरा रह जायेगा!

       दूसरी ओर परिषदीय विद्यालयों में 98 फीसदी सरप्लस शिक्षकों में समायोजित शिक्षामित्रों, 72825 शिक्षक भर्ती के साथ साथ एकेडमिक मैरिट पर बीटीसी, उर्दु बीटीसी, की संख्या है। इन सरप्लस शिक्षकों का मामला अभी सर्वोच्च न्यायालय के अधीन है और अभी इन भर्तियों पर वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट का यथास्थिति का आदेश प्रभावी है! क्योकि जब तक निश्चित रूप में सर्वोच्च न्यायालय का कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं होता, तब तक इन शिक्षकों को नियमानुसार दूसरी जगह समायोजित/स्थानान्तरित करना कोर्ट की अवमानना होगी!

        साथ ही बेसिक शिक्षक नियमावली के तहत प्रदेश शासन की नीति में 55 वर्ष की आयु पूरा कर चुके शिक्षकों के लिए कोई नियम निर्देश ना जारी करना यह भी एक पेंच भरा सवाल है। शासन की ही माने तो 55 वर्ष की आयु पूरा कर चुके शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है। इधर जुनियर एकेडमिक भर्ती वाले भी न्यायालय की जद में है और फैसला करीब है। जिसमे 29334 विज्ञान, गणित, भाषा शिक्षक, सामाजिक विषय, उर्दू विषय के तहत नियुक्ति पाये शिक्षकों को भी नियमानुसार हटाया नहीं जा सकता है! क्योकि इनकी पदस्थापना एक विशेष भर्ती के तहत हुई है।

   मामला जो भी हो शासन की ये त्रुटियाँ शिक्षकों को सुनहरा अवसर देती प्रतीत हो रही है।शासन की इस भूल पर उच्च/उच्चतम न्यायालय की नजर टेढ़ी हुई तो स्थानांतरण/समायोजन की कवायद धरी की धरी रह जायेगी। साथ ही सरकार की भी फजीयत होना तय है!

 दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव , प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष रश्मिकान्त व्दिवेदी व प्रदेश सचिव हिर्देश दुबे ने संयुक्त बयान मे कहा कि शासन को शिक्षकों के जनपदीय समायोजन/स्थानान्तरण के लिये माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार कर लेना चाहिये तब तक जुलाई मे परिषदीय विद्यालयों मे छात्रों के नामांकन भी शुरू हो जायेगे! तब सितम्बर की छात्र संख्या के आधार पर जारी नीति के तहत शिक्षकों के समायोजन/स्थानान्तरण किये जाये जिससे सरकार की मंशा प्रभावी ढंग से लागू हो सकेगी

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