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Thursday, September 19, 2024

​परेशान हम क्यों ना हो?नियम कायदे,आदेश सब इनकी जेब मे जो रहता है…

ये जो बात कही है ये हर उस व्यक्ति की ज़ुबान पर होती है जब वो टैक्सी या ऑटो में सफर करता है।शहर में लोगों की सुविधा के नाम पर चल रहे टेक्सी ऑटो अब उनके लिए तो सिर का दर्द बन ही गए है साथ ही ट्रैफिक को अवरुद्ध करने का सबसे बड़ा कारण भी बनकर सामने आ रहे हैं।अगर आप भी इस भीड़ भाड़ वाली शहरों की सड़कों पर अपनी बाइक या कार से सफर करने निकलते होंगे तो आपको भी लगता होगा कि वाकई इनको तो किसी बात से कोई सरोकार ही नही बस सवारी मिल जाये तो चलती सड़क पर बीच मे ही ब्रेक मार लेंगे या कब दाहिने बाएं घूम जाएंगे इसका भी कोई भरोसा नही।

सिर्फ यही नही ये औरों के साथ साथ उनके लिए भी सिरदर्द साबित होते हैं जो अपनी सुविधा के लिए इनका उपयोग करने की कोशिश करता है।मतलब वो यात्री जो सोचते हैं कि आज अपनी गाड़ी से ना जा कर टेक्सी या ऑटो से सफर कर लिया जाए तो बढियां रहेगा वो भी जब इस पर बैठते है तो टेक्सी चालक के व्यवहार से दुखी हो जाते हैं।वो कैसे ये भी जान लीजिए माना आप टेक्सी स्टैंड पर हज़रत गंज से चौक के लिए बैठ गए आपने देखा कि इसकी सवारी फूल होने वाली है और बस उसके बाद ये चल देगी लेकिन आपके फुल और इनके फुल में एक अंतर है और यही अंतर आपके लिए दिक्कत खड़ी कर देता है।

वो अंतर क्या है शायद आपको अंदाजा होगा नही है तो हम बताए देते हैं।वो अंतर है कि आपकी सोच टैक्सी ऑटो के ढांचे और नियम कायदे को देखते हुए ये कहती है कि एक टैक्सी में चालक मिला के आठ लोग ही बैठेंगे मगर उनका शातिर दिमाग एक टैक्सी में चालक को मिला कर ग्यारह लोगो की मौजूदगी को फुल समझता है और यही होने के बाद उस जगह से सरकता है।

अब आप ही सोचिये आठ की जगह पर ग्यारह लोगों को बैठा देने पर इनकी क्या दशा होती होगी जो अपनी सुविधा के लिए ऑटो या टैक्सी को चुनते हैं और तो और उसमें महिलाएं किस स्थिति में खुद को महसूस करती होंगी इसका भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है मतलब ये है कि टेक्सी और ऑटो चालक यात्रियों को उनकी मजबूरी का वो इनाम देते हैं जो शायद कोई अपनी खुशी से नही लगा।
अब ऐसा भी नही है कि इसकी जानकारी परिवहन विभाग या पुलिस को ना हो मगर सुधरेगा तभी ना जब वो सुधारना चाहेंगे भाई खुले शब्दों में अगर कहें उस चालक की जुबानी तो वो ये के सेटिंग से चलाते हैं अपनी टेक्सी हमको भी देना पड़ता है अगर नियम से चलेंगे तो क्या देंगे क्या बचाएंगे अगर देंगे नही तो वो परेशान करेंगे और अगर बचाएंगे नही तो खाएंगे क्या।

चालक की बात सुन के अजीब लगा कि कमाल है सरकार कहती है भ्र्ष्टाचार समाप्त करेगी पर उसके नुमाइंदे कहते हैं नही सरकार ट्रैफिक नियम का पालन कराने के लिए नए नए पैतरे इस्तेमाल करती है पर कराने वाले करवाना नही चाहते ऐसे कैसे आएगा सुधार कैसे रुकेगा भ्रष्टाचार और कैसे टैक्सी और ऑटो में यात्री चैन से सफर कर पाएंगे ये कोई बताएगा या सिर्फ खाना पूर्ति और अपनी जुगाड़ के चक्कर मे जनता को परेशान होने दिया जाएगा।

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