लखनऊ,दीपक ठाकुर।भारतीय जनता पार्टी को गोवा में भले स्पष्ट बहुमत ना मिल पाया हो फिर भी उसकी सक्रियता से गोवा की सत्ता उसको मिल गई है वही कांग्रेस का ढुलमुल रवैया उसे विपक्ष की भूमिका में बैठने का कारण बन गया है।
भाजपा द्वारा सरकार बनाए जाने की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट ले जाने वाली कांग्रेस पार्टी को वहां भी मुह की खानी पड़ी है कोर्ट ने कह दिया की आपके पास संख्या बल था तो आप पहले राज्यपाल से क्यों नहीं मिलने गए साथ ही भाजपा को 16 मार्च को शक्ति परीक्षण करने को भी कहा है।
कांग्रेस कई बिंदुओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट गया था जिसमे उसने आशंका जताई थी कि भाजपा द्वारा विधायकों की पर्याप्त संख्या ना होने पर खरीद फरोख्त किया जाएगा साथ ही उनका कहना था कि बड़े दल के नाते उनको न्योता मिलना चाहिए था।पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की दलीलों को सिरे से नकारते हुए ये साफ़ कर दिया कि राज्यपाल द्वारा लिया गया निर्णय पूरी तरह सही है अगर कांग्रेस के पास संख्या बल था तो उसने क्यों नहीं राज्यपाल से विचार विमर्श किया ना ही कोर्ट में संख्या बल का कोई हलफनामा प्रस्तुत किया।
इस पुरे प्रकरण से एक बात तो साफ़ हो गई वो ये की सुप्रीम कोर्ट ने कागज़ से मज़बूत पक्ष का साथ दिया वही हवाई बातों के आधार पर कोर्ट जाने वालों को ये नसीहत भी दे डाली के बिना पुख्ता तैयारी के कोर्ट का दरवाजा ना खट खटाये कोर्ट उसी के पक्ष में निर्णय लेता है जिसका आधार मज़बूत होता है।
इन तमाम बातों से तो यही लगता है कि गोवा में अब कांग्रेस पार्टी विपक्ष की भूमिका में नज़र आएगी जिसका कारण उसका सुस्त रवैया ही नज़र आ रहा है ऐसा क्यों है इसके लिए कांग्रेस पार्टी को आत्मचिंतन की आवश्यकता है।