दीपक ठाकुर,न्यूज़ वन इंडिया। निकाय चुनाव में पार्षद के टिकट को लेकर भाजपा में घामासन की कई खबरें आई सभी पुराने कार्यकर्ता इस उम्मीद पर थे कि शायद उनके काम से खुश होकर पार्टी उनको या उनके पहचान वालों को टिकट ज़रूर देगी यही कारण भी रहा कि टिकट पाने की चाह में खुद को लोकप्रिय साबित करते हुए कई नेताओं ने अपने नाम से बैनर पोस्टर लगा कर काफी पैसा भी खर्च कर दिया।
पर काफी मंथन के बाद भाजपा ने जो लिस्ट जारी की उससे उनको काफी सदमा ज़रूर लगा होगा पैसा भी गया और पार्षद बनने का सपना भी फिलहाल पान साल के लिए अधूरा भी रह गया।खैर पार्टी ने उन बड़े नेताओं को काफी तरजीह दी जो सपा को छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए उदाहरण के तौर पर बुक्कल नवाब को ही ले लीजिए।उनके पुत्र फैसल नवाब पिछली बार तक सपा के झंडे के साथ पार्षद रहे और इस बार भी पिता जी के आशीर्वाद से पार्षद की लड़ाई लड़ रहे हैं भाजपा के टिकट से।फैसल नवाब ने तो इस बात की पुष्टि अपने पोस्टर के माध्यम से लिस्ट जारी होने से पहले ही कर दी थी पर ताज्जुब हुआ लिस्ट में यहां उनका नाम देखकर।भाई यहां तो ये बात माननी ही पड़ेगी की फैसल को पिता जी पर और पिता जी को उनकी जीत पर पूरा भरोसा है तभी भाजपा ने ये दिलेरी दिखाई है।
वैसे फैसल कोई एक नाम ही नही है जो सपा से भाजपा में शामिल होकर पार्षद का चुनाव लड़ रहे हैं बल्कि इस बार तो भाजपा ने पार्षदों को ही टिकट देकर कोई रिस्क ना लेनी की ठान ली है पार्षद हो चाहे किसी भी दल का हो भाजपा में आ गया सब माफ हो गया।वैसे देखा जाए तो ये सही भी है वैसे भी राजनीति में जीत से बड़ा कुछ नही कार्यकर्ता तो वैसे ही शोर मचाते हैं।पर अब जनता किसको तरजीह देती है पार्टी को या कैंडिडेट को ये देखना दिलचस्प रहेगा।