लखनऊ, दीपक ठाकुर। केंद्र सरकार ने नवम्बर 2016 में एकाएक नोटबंदी का फैसला कर पूरे देश की जनता को सकते में डाल दिया था हर परेशानी के बावजूद जनता मोदी सरकार के इस कठोर फैसले में भी उनके साथ खड़ी दिखाई दी पर उस घोषणा के बाद से पुराने नोट को लेकर जैसी जैसी खबरे आ रही है उससे तो यही लगता है कि इस बार भी चोट आम जनता के ही हिस्से में आई है।
आपको याद होगा 8 नवम्बर 2016 का वो पल जब मोदी जी ने खुद लाइव आ कर ये घोषणा की थी कि रात 12 बजे के बाद पुराने 500 और हज़ार यानी बड़े नॉट चलन से बाहर हो जायेगे मगर इससे डरने की आवश्यकता नही है आप अपना पुराना पैसा बैंक में जमा कर बदल सकते है जिसके लिए कुछ समय सीमा भी निर्धारित की गई थी।
पर उस घोषणा के बाद की जो तस्वीर आई वो बड़ी हैरान करने वाली थी क्योंकि बैंको की लाइन में सिर्फ और सिर्फ आम आदमी ही लगा दिखाई दिया बाकी बैंक के साथ मिल कर खेल खेलते रहे जिसके बाद सरकार भी हरकत में आई और कुछ बैंकों पर कारवाई की बात भी सामने आई पर सवाल ये है कि उनके खिलाफ सरकार का वो कदम क्या सिर्फ दिखावा मात्र था अगर नही तो आज भी इतना समय बीत जाने के बाद भी पुरानी करेंसी की खेप क्यों जगह जगह से बरामद की जा रही है आज भी कमीशन के चक्कर मे कौन लोग है जो नोट बदलने का कारोबार कर रहे है और उनका क्या हुआ जो इसमें लिप्त पाये गए थे।
ये तमाम ऐसे सवाल है जो जनता को परेशान कर रहे और पूछ रहे हैं कि क्या सारे नियम कायदे गरीब या मध्यवर्गी लोगो के लिए हैं क्या पैसों वाले के आगे सरकार भी झुक जाती है अगर नही तो अभी तक ये नोट वाला खेल कौन खेल रहा है इसकी सख्ती से जांच होने के बाद कड़ी से कड़ी कारवाई होनी चाहिए ताकि अब ऐसी घटना ना सामने आ सके जिससे जिन्होंने पैसा दबा रखा है वो दबा ही रह जाए बदला ना जाये कुछ कड़ा करने की ज़रूरत है क्योंकि सख्ती की गाज सिर्फ निम्न स्तर पर ही गिरती है ऐसा निम्न वर्ग महसूस कर रहा है।वो इसलिए क्योंकि आज भी जगह जगह से पुरानी करेंसी के साथ कई लोग गिरफ्तार हो रहे हैं जो ये बात साफ तौर पर सबित करती है कि पुरानी करंसी बदले जाने का खेल अभी तक जारी है।