लखनऊ, इरफ़ान शाहिद। बात हम ही नही उत्तर प्रदेश के सभी लोगों की ज़ुबान पे तब आती है जब बिजली आती कम और ज्यादा जाती है।योगी आदित्यनाथ ने सत्ता सम्भालते ही 24 घण्टे बिजली देने का वादा किया था जिसे सुन कर काफी अच्छा लगा और ये उम्मीद भी जगी के इस गर्मी बिजली नही रुलायेगी मगर काश के ऐसा हो पाता।
एक तरफ तापमान बढ़ रहा है वही दूसरी तरफ बिजली का मिज़ाज़ भी बदल रहा है और हद्द तो तब हो जाती है जब पॉवर हॉउस फोन उठाना तो दूर फोन बंद कर ही बैठ जाता है।अब कल यानी सोमवार के दिन का हाल आपको बताते हैं कि पुराने लखनऊ में रोजेदारों और अन्य लोगों के साथ बिजली विभाग ने क्या क्या सितम ढाय है।
सूरज में तपिश ना होने के बावजूद भी कल की गर्मी रिकार्ड तोड़ थी ये सभी जानते है ऐसे में घर मे रहने वाले सुकून की सुबह देखे उससे पहले ही पावर कट पुराना लखनऊ सकते में सोचा फोन कर के देखे क्या बात हो गई तो फोन लगातार बिजी बताता रहा अब समझ नही आता कि किसी को कोई जानकारी देता तो नही फिर फोन बिजी काहे में रहता है खैर दो घण्टे बाद बिजली आ गई एक घण्टा रही फिर चली गई यही करते करते शाम हो गई लगा इतनी जा चुकी है अब तो नही जाएगी इत्मिनान से सोया जाएगा खा पी कर मगर।
ये मगर इस लिए था कि सोचने से पहले ही लाइट छठी बार फिर से चली गई घर आया तो पता लगा आज सुबह से यही नाटक हो रहा है घर मे सभी बिना बिजली बेहाल देख कर बुरा लगा सोचा फोन लगाया जाये पता तो चले कब तक आएगी क्योंकि इन्वर्टर भी आखरी सांसे लेने वाला था।
फोन लगया फिर बिज़ी रहने की सूचना मिली तो एक भाई को उनके पर्सनल नंबर पे फोन लगाकर पूछा भैया कब तक आएगी तो उनका जवाब था 45 मिनट बाद क्योंकि अभी मस्ज़िद के पास काम चल रहा है खैर 45 ना सही एक घण्टे बाद लाइट आई सबको सुकून मिला पर पंखा जैसे ही फूल स्पीड पर पहुंचा वैसे ही फिर पावर कट।
अब हालात ऐसे हो गए कि बयान नही कर सकता आधे अधूरे कपड़े में ही लोग सड़कों पर निकल कर चहल कदमी करते नज़र आये एक दूसरे से कहते सुनाई ढ़िये के क्या यार जब से योगी जी की सरकार बनी है लाईट कुछ ज़्यादा ही जा रही है अखिलेश के समय बड़ी राहत थी रोज़ा भी अंधेरे में खोलना पड़ा ऊपर से कोई फोन तक नही उठाता।
यहां योगी जी को इस बात पे ध्यान देने की आवश्यकता है कि आप जिनकी बेहतरी के लिए अच्छी अच्छी घोषणाओं को अंजाम देते है वो लोगो तक ठीक से पहुंच भी रही है या नही इस पर कोई सूत्र लगाइये क्योंकि आपकी बात पर आपके ही नुमाइंदे अमल नही करते ये तो तय है।
ये पूरा वाक्या नीबूपार्क पावर हाउस का बयां किया है क्योंकि मैं भी वही रहता हूँ कल की घटना का भुक्तभोगी भी हूँ सरकारी फोन सरकारी कर्मचारी अपनी जागीर समझ कर वहां इस्तेमाल करते हैं जब मन चाहे फोन उठा नही तो नाट रिचेबल लागए बैठ जाते हैं और तो और ज़्यादा दिक्कत हुई तो स्विच ऑफ से कौन रोक सकता है वो भी कर देते हैं जैसा कल रात किया तो भैया मेरे आप सरकार की किरकिरी का बीड़ा ना उठाये तो बेहतर होगा फोन उठाकर सही जानकारी देने का वेतन मिलता है वही कर लें तो सरकार की बात रह जाएगी और आपको भी दुआ मिलेगी जो शायद ऐसा करने पर कोई नही देता होगा।