गाजियाबाद. अपराधिक मामलों में गाजियाबाद पुलिस ने अपनी किरकिरी को बचाने के लिए प्रयोजित एनकाउंटर करके हैदराबाद के 25 हजार के इनामी बदमाश को पकड़े जाने के मामले में पुलिस अपने ही फैलाए जाल में खुद फंस गई है। एफआईआर ने ऐसे राज खोले हैं जिसने पुलिस की थ्योरी और कहानी सभी को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। बिना किसी जांच अधिकारी के आम आदमी भी इसे प्रायोजित एनकाउंटर मान सकता है।
मुजफ्फरनगर से पकड़कर थपथपाई थी पीठ
दरअसल हैदराबाद के ईनामी बदमाश को लेकर एफआईआर में बताया गया है कि एनकाउंटर से नौ घंटे पहले मुज्जफरनगर से उसकी गिरफ्तारी हुई थी। पुलिस ने अपनी पीठ को खुद थपथपाने के लिए मुजफ्फरनगर से लाए बदमाश को कमला नेहरू नगर में भागता दिखा दिया। इतना ही नहीं रिपोर्ट संकेत करती है कि बदमाश को पकड़ने वाले लोगों में गाजियाबाद के एसपी सिटी आकाश तोमर की भी भागीदारी नहीं थी।
प्रेस कांफ्रेंस की रीलीज में दिखाई अलग गिरफ्तारी
दरोगा धर्मेंद्र लांबा की तरफ से कविनगर थाने में जो एफआईआर दर्ज कराई गई है। उसमें दिखाया गया है कि पुलिस ने दीपक को 20 जुलाई को दोपहर बारह बजे मुजफ्फरनगर स्थित उसके क्लीनिक से गिरफ्तार किया। दीपक के साथ उसके साथी हैप्पी को पकड़ने के लिए पुलिस संजयनगर पहुंची थी। जहां पुलिस और उसकी मुठभेड़ हुई, जबकि प्रेस कांफ्रेंस में पुलिस की तरफ से जारी की गई। रीलीज में दीपक की गिरफ्तारी गाजियाबाद से दिखाई हुई है।
पकड़ने वालों में ये थे शामिल
मुठभेड़ में गाजियाबाद से दरोगा धर्मेद्र कुमार लांबा, दरोगा राजीव बालियान, दरोगा अजनी कुमार सिंह, कांस्टेबल पंकज कुमार, विकास कुमार और नसीम शामिल थे। इन सभी को अब जांच का सामना करना पड़ेगा। हालांकि स्पाॅट पर एसपी सिटी भी देखे गए हैं, लेकिन उन्हें पकड़ने वालों में नहीं दर्शाया गया है।
ये कहते हैं एडीजी लॉ एंड आर्डर
एडीजी लॉ एंड आर्डर का पूरे मामले को लेकर कहना है कि एसएसपी गाजियाबाद को दिन के भीतर मामले की जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। इसके बाद में आगे की कार्रवाई की जाएगी।