इलाहाबाद देश के राजनितिक इतिहास में सत्ता के करीब रहने वाली फूलपुर लोकसभा में एक बार फिर सरगर्मी बढ़ी तो सियासी पंडित पुराने पन्ने पलटने लगे है।और जातीय समीकरण से लेकर सत्ता की लहर और मोदी इफेक्ट का असर कितना होगा भी आकलन शुरू हो गया।आजाद भारत में फूलपुर संसदीय क्षेत्र को चुनकर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना राजनितिक सफर शुरू किया और लाल किले की प्राचीर तक पंहुचें।और लम्बे समय तक फूलपुर लोकसभा के जरिये कांग्रेस की पकड सत्ता तक बनी रही ।तो वही राम मंदिर का मुद्दा लेकर यूपी के जरिये सत्ता के करीब आने वाली भाजपा ने आजादी के बाद से 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत कर पहली बार फूलपुर मर कमल खिलाया।जिसके लिये भाजपा के शीर्ष नेत्रत्व ने पुरस्कार देते हुए।पहुंचे केशव प्रसाद मौर्य को पहले प्रदेश अध्यक्ष पर डिप्टी सीएम बनाया।
फूलपुर का सियासी सफर
पंडित जवाहर नेहरू ने 1952 में पहली बार लोकसभा में पहुंचने के लिए अपने शहर की इस सीट को चुना।लगातार तीन बार 1952 1957 और 1962 में उन्होंने यहां से जीत दर्ज की।नेहरु के निधन के बाद उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित 1967 में के चुनाव में जनेश्वर मिश्र को हराया ।1969 विजयलक्ष्मी ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि बनने के बाद इस्तीफा दे दिया था । फिर उपचुनाव में कांग्रेस ने पंडित नेहरू के सहयोगी रहे इलाहाबाद के ही केशव देव मालवीय को उतारा लेकर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार जनेश्वर मिश्र से उन्हें हार का सामना करना पड़ा । 1971 विश्वनाथ प्रताप सिंह कांग्रेस के टिकट पर जीते थे ।आपातकाल में 1977 में हुए आम चुनाव मैं कांग्रेस ने यहां से राम पूजन पटेल को उतारा लेकिन जनता पार्टी के उम्मीदवार कमला बहुगुणा ने यहां से जीत हासिल की। उसके बाद 1980 की मध्यावधि चुनाव में लोकदल प्रत्याशी प्रोफेसर बीडी सिंह 1984 में चुनाव में कांग्रेस के राम पूजन पटेल जीते 1989 और 1991 का चुनाव राम पूजन पटेल ने जनता दल के टिकट पर ही जीता पंडित नेहरू के बाद सीट पर लगातार तीन बार हैट्रिक लगाने वाला रिकॉर्ड राम पूजन पटेल के नाम रहा ।
बसपा के बाद भाजपा का खुला खाता
राजीव गांधी की बाद कांग्रेस की कमजोर हो रही पकड ने फूलपुर की सीट को कांग्रेस से दूर कर दिया।1996 से 2004 के बीच हुए चार लोकसभा चुनाव में यहां से सपा के उम्मीदवार जीत रहे है। 2004 में अतीक अहमद के बाद 2009 में पहली बार इस सीट पर बसपा ने भी जीत हासिल की यहां से बसपा के कपिल मुनि करवरिया जीते । जबकि के बसपा के संस्थापक कांशीराम यहां से चुनाव हार गये थे।काशीराम को सपा के जंग बहादुर पटेल ने हराया था ।2014 में यहां मोदी लहर में पहली बार केशव प्रसाद ने भाजपा के तिक्त पर जीत दर्ज की ।
पंडित नेहरु से लेकर अब तक सांसद
1952 में पंडित जवाहरलाल नेहरू
1957 में पंडित जवाहरलाल नेहरू
1962 में पंडित जवाहरलाल नेहरू
1967 में विजयलक्ष्मी पंडित
1969 में जनेश्वर मिश्र
1971 विश्वनाथ प्रताप सिंह
1977 में राम पूजन पटेल
1980 में प्रोफेसर बीड़ी सिंह
1984 में राम पूजन पटेल
1989 राम पूजन पटेल
1991 राम पूजन पटेल
1996 में जंग बहादुर पटेल
1999 में धर्मराज पटेल
2004 में अतीक अहमद
2009 में कपिल मुनि करवरिया
2014 में केशव प्रसाद मौर्य