लख़नऊ,न्यूज़ वन इण्डिया। गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में जिस तरह स्कूल के अंदर मासूम की निर्मम हत्या कर दी गई उससे स्कूल में बच्चो की सुरक्षा को लेकर सभी अभिभावक चिंता में डूब गए हैं।सभी ये सोच कर सहम उठते हैं कि कहीं स्कूल की लापरवाही का अगला शिकार उनका बच्चा तो नही यहां अभिभावकों की चिंता भी वाजिब ही नज़र आती है क्योंकि प्राइवेट स्कूल फीस के मामले में तो कोई कम्प्रोमाइज नही करते पर सुरक्षा देने के नाम पर सिवाय झूठे आश्वासन के कुछ नही देते।
रेयान इंटरनेशनल स्कूल में हुई ह्रदय विदारक घटना के बाद न्यूज़ वन इंडिया की टीम ने लखनऊ में ऐसे कई नामी गिनामी स्कूलो का सुरक्षा को लेकर जायज़ा लिया तो अधिकांश जगह हमे सिर्फ और सिर्फ खोखले वादे और झूठे वादे ही दिखाई दिए।लखनऊ के कई मशहूर प्राइवेट स्कूल में जब हम गए तो हमने देखा कि स्कूल के मेन गेट पर एक गेट कीपर वो भी बिना किसी सुराक्षात्मक व्यवस्था के तैनात तो था पर उसी गेट से लोगों की आवाजाही बिना जांच पड़ताल के जारी थी जो कभी भी किसी भी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए काफी है।
गेट के बाद स्कूलों की अंदर की तस्वीर तो और भी डराने वाली दिखाई देती है जैसे रेयान इंटरनेशनल स्कूल में मेन गेट से स्कूल तक का सफर लगभग एक किलोमीटर का था वैसा ही इन सभी स्कूलों में दिखाई दिया अभिभावक अपने बच्चों को मेन गेट पर छोड़ कर जाते हैं उसके बाद बच्चे अपने अपने क्लास में जाने के लिए काफी लंबा सफर वो भी बिना किसी गाइडेंस के साथ करते हैं जो उनकी मजबूरी भी होती है।मगर क्या यहां स्कूल प्रशासन की ये ज़िम्मेवारी नही बनती की छोटे बच्चों को उनके क्लास तक छोड़ने के लिए स्कूल के किसी ज़िम्मेदार व्यक्ति को उनके साथ भेजना चाहिए मेरे हिसाब से बनती है क्योंकि स्कूल में जिस तरह का स्ट्रक्चर होता है वो किसी भूल भुलैया से कम नही होता पतले पतले रास्ते अगल बगल क्लास दर क्लास फिर पतला सा रास्ता जहां वॉशरूम बना है तो ऐसे में छोटा बच्चा बिना डरे वहां तक जा भी पायेगा या नही ये आसानी से समझा जा सकता है।
अब बात करते है स्कूलों में सीसीटीवी कैमरों की तो जहां सबको सब दिखता है वहां तो ये लगाए गए हैं पर जहां सन्नाटा पसरा रहता है वहां इनको भी ढूंढ पाना मुश्किल है।आज के दौर में सभी स्कूल बाहरी ताम झाम में इतना मसरूफ रहते हैं कि उन्हें अपने भीतर की कमी ही नही दिखाई देती है सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाने के लिए खोले जाने वाले ऐसे ही स्कूलों ने बच्चो के भविष्य को खतरे में डाल रखा है बातें तो बहुत बड़ी बड़ी होती हैं पर वास्तव में होता क़ुछ भी नही है।बच्चो को स्कूल में प्रवेश दिलाते वक़्त जो सुंदर सुंदर बाते उनकी तरफ से बताई जाती हैं वो दाखिले के बाद हॉरर मूवी की कहानी में तब्दील हो जाती है जिसका सत्यता से दूर दूर तक कोई वास्ता नही होता।