पटना और अहमदाबाद से लड़ सकते हैं आगामी लोकसभा चुनाव
-गुजरात में खिसक रहा जनाधार और बिहार में मिली हार बना आधार
-भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस तैयार करने लगा जमीन
varanasi
बनारस के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी लोकसभा चुनाव बनारस से लड़ेंगे? यह सवाल हर किसी के जेहन में है. यह होना लाजमी भी है. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गयी है. दिल्ली, लखनऊ के साथ बनारस भी इसका प्रमुख केन्द्र है. जाहिर सी बात है कि पार्टी ने यह भी तय किया होगा कि जिस संसदीय सीट से देश का प्रधानमंत्री सांसद है उस पर कौन दावेदारी करेगा? राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस बार नरेन्द्र मोदी बनारस की बजाय पटना या आसपास की किसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. गुजरात के अहमदाबाद से भी हाथ आजमा सकते हैं. इसके लिए बीजेपी के साथ ही संघ ने भी जमीन तैयार करना शुरू कर दिया है.
नहीं देंगे गुजरात
नरेन्द्र मोदी के बनारस सीट छोड़ने का दावा करने वाले इसका जो आधार बताते हैं वह काफी मजबूत नजर आता है. राजनीतिज्ञों का कहना है कि हाल में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के परिणाम ने भारतीय जनता पार्टी को सोचने पर मजबूर कर दिया. पार्टी जिस चेहरे को सामने रखकर अपना हर चुनाव लड़ रही है और जीत का दावा कर रही है. उसी के गढ़ में कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन ने बीजेपी को अपनी समीक्षा करने को मजबूर कर दिया. नरेन्द्र मोदी या बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष यह कभी नहीं चाहेंगे कि गुजरात उनके हाथ से फिसल जाए. इसलिए फिलहाल पार्टी के सबसे कद्दावर नेता नरेन्द्र मोदी को अहमदाबाद से चुनाव लड़ाया जा सकता है.
चाहिए बिहार विजय
मोदी के बिहार से चुनाव लड़ने की भी बड़ी वजह नजर आती है. नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विजय रथ लेकर निकली भारतीय जनता पार्टी सीधे तौर पर बिहार में जीत हासिल नहीं कर सकी है. यहां अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना उसका सपना है. इस सपने का पूरा होना इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि यहां 40 लोकसभा सीटें हैं. विधान सभा पर झण्डा फहराने के बाद इन पर काबिज होना आसान होगा. यह जरूर है कि वर्तमान में बीजेपी के पास 31 सीटे हैं लेकिन आगामी चुनाव में भी वहीं जादू चल पायेगा जो 2014 की चुनाव में चला था, इसलिए बिहार में विधान सभा और लोकसभा सीटों को अपनी झोली में डालने के लिए बीजेपी नरेन्द्र मोदी पर दाव खेलेगी. प्रदेश की राजधानी और राजनीति की अहम जगह होने की वजह से पटना से इन्हें चुनाव लड़ाया जा सकता है.
भुनाएंगे बनारस मॉडल
वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने बनारस और वडोदरा सीट से चुनाव लड़ा था. वडोदरा सीट को छोड़कर बनारस से सांसद बने रहना तय किया. राजनीति के पंडितों की मानें तो बीजेपी के पीएम कैंडीडेंट के तौर पर नरेन्द्र मोदी की बनारस से चुनाव लड़ने की बड़ी वजह रही. दुनिया में चर्चित इस शहर से पूर्वाचल की सीटों को प्रभावित करना चाहते थे. हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही. यूपी की 80 सीटों में से 71 सीटों पर जीत हासिल हुई. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को ऐसी-ऐसी सीटें मिलीं जिन पर जीत की कोई उम्मीद नहीं थी. अपनी जीत के बदले पीएम ने शहर को कई विशेष तोहफा दिया. ऐसा विकास का मॉडल बनाया जो पीएम के कद के मुताबिक हो. अगर वो गुजरात या बिहार से चुनाव लड़ते हैं तो इसी विकास मॉडल को भुनाएंगे.
मोदी ने बनारस को दी सौगात
-स्मार्ट सिटी योजना-शहर को खास बनाने के लिए
-ऊर्जा गंगा-पाइप लाइन के जरिये घरों तक गैस पहुंचाने के लिए
-जल परिवहन-बनारस से हल्दिया तक
-हृदय योजना-शहर के ऐतिहासिक और पौराणिक स्थलों के कायाकल्प के लिए
-अमृत योजना-सभी के पेयजल के लिए
-आईपीडीएस-बिजली के तारों को भूमिगत करने के लिए
-ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर-बुनकरों के लिए
-सड़कों का जाल-बनारस के आसपास
-महामना एक्सप्रेस-बनारस से दिल्ली
-मालवीय चेयर फॉर रेलवे टेक्नोलॉजी
-महामना मालवीय कैंसर सेंटर बीएचयू
-सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल बीएचयू
इस बारे में मेरा कोई बयान नहीं है. इस बाबत पार्टी की ओर से कोई बात नहीं हुई है. नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं. बेहद लोकप्रिय हैं. देश के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं. बनारस के लिए भी काफी कुछ किया है उन्होंने.
लक्ष्मण आचार्य, एमएलसी, काशी क्षेत्र के अध्यक्ष, बीजेपी
पीएम के स्तर का कौन सा काम नरेन्द्र मोदी ने बनारस में किया है जो अगली बार चुनाव लड़ना चाहेंगे. यहां वो फेल हो गए हैं. बनारस की जनता इससे नाराज है. मोदी को इसका एहसास हो गया है इसलिए कहीं दूसरी जगह जा सकते हैं.
डॉ. राजेश मिश्रा (पूर्व सांसद कांग्रेस)
बीजेपी ने तो बनारस संसदीय सीट को एक्सिपेरिमेंट सीट बना दिया है. आयातित प्रत्याशी